बीदर, १९ दिसंबर (सियासत डिस्ट्रिक्ट न्यूज़)। कर्नाटक असैंबली ने इत्तिफ़ाक़ राय से एक अहम तरीन बल को मंज़ूरी दे दी है जिस के तहत ओक़ाफ़ी, इंडो मिंट और सरकारी आराज़ीयात पर नाजायज़ क़बज़ा करने वालों के ख़िलाफ़ मव सर कार्रवाई की अंजाम दही में मदद मिल सकती है। बिल में इस बात की गुंजाइश फ़राहम की गई है कि रियासत में ओक़ाफ़ी सरकारी या इंडो मिंट के तहत आने वाली अराज़ी पर नाजायज़ क़बज़ा साबित हो तो नाजायज़ क़ाबिज़ को तीन साल की सज़ा और 25 हज़ार रुपय जुर्माना की सिफ़ारिश की गई है। बिल हज़ा में मज़हबी-ओ-ख़ैराती इदारा जात के इलावा ऐसे इदारे जो हुकूमत की ज़ेर निगरानी काम अंजाम दे रहे हूँ, की ज़मीनात पर भी नाजायज़ क़बज़ा जात हो तो उन पर भी ये क़ानून नाफ़िज़ होगा।
कर्नाटक लैंड ग्रैबिंग प्रोबेशनरी बिल 2011-ए-के तहत क़बज़ा जात के बारे में जो मुक़द्दमात दायर किए जाएंगी, उन की तेज़ रफ़्तारी के साथ समाअत होगी। मुक़द्दमात की तेज़ रफ़्तार शनवाई के लिए ख़ुसूसी अदालत के क़ियाम की भी सिफ़ारिश इस बिल में शामिल ही। सरकारी ज़राए के बमूजब रियासत के मुख़्तलिफ़ मुक़ामात पर हज़ारों एकड़ ओक़ाफ़ी और सरकारी जायदादों पर नाजायज़ क़बज़े हो चुके हैं। मिस्टर रामास्वामी साबिक़ रुकन असैंबली की ज़ेर क़ियादत इस मक़सद के तहत जो कमेटी तशकील दी गई थी, उस की रिपोर्ट के मुताबिक़ बैंगलौर और इस के नवाही इलाक़ों में 45 हज़ार एकड़ अराज़ी पर नाजायज़ क़बज़े हो चुके हैं जिन की क़ीमत तक़रीबन 50 हज़ार करोड़ रुपय के मुमासिल है। मज़कूरा क़ानून के तहत अराज़ी पर क़बज़ा को नाजायज़ और काबुल जुर्म क़रार दिया गया है। आराज़ीयात पर नाजायज़ क़बज़ा करने वाले और इस की तरग़ीब दे कर तआवुन करने वाले दोनों मुजरिम होंगे जिन के ख़िलाफ़ फ़र्द-ए-जुर्म साबित होने पर कम से कम एक साल और ज़्यादा से ज़्यादा तीन साल की सज़ा और 25 हज़ार रुपय जुर्माना हो सकता है। मिस्टर सुरेश कुमार वज़ीर बराए शहरी तर कुयात ने कहा कि रियास्ती सरकार ने मज़कूरा बिल साल 2007-ए-के दौरान पास करदिया था।
ताहम मर्कज़ी हुकूमत ने इस बिल में मज़हबी इदारा जात की अराज़ी पर नाजायज़ क़बज़ा जात को शामिल करने की सिफ़ारिश की है। बल के मुताबिक़ रियासत में बोगस कौप्रेटिव् सोसाइटी बनाकर आराज़ीयात को हड़पने का कारोबार काफ़ी उरूज पर है, जिस के बाइस रियासत में काले धन का चलन भी इस में शामिल होगया था। चुनांचे इन तमाम सरगर्मीयों पर पाबंदी आइद करना भी इस बल की पेशकशी का एक अहम मक़सद भी है। क़ानून के बमूजब अराज़ी पर नाजायज़ क़बज़े करने वाला कोई एक फ़र्द हो कि ग्रुप, सोसाइटी हो कि बिल्डर्स या कोई रुकमी इमदाद भी करता है तो मुजरिम क़रार पाएगा।