कर्नाटक: वोट नहीं दिया तो दो दिन की कैद या 500 रुपये जुर्माना

बेंगलुरु: मुल्क में अर्से से ये बहस चलती रही है कि वोटिंग को लाज़मी बनाया जाए या नहीं. और जो वोट नहीं देते उन पर जुर्माना या सज़ा का इंतेज़ाम किया जाए. ऑस्ट्रेलिया और आर्जेन्टीना जैसे मुल्क में पहले से ही लाज़मी वोटिंग का क़ानून है. और कई मुल्को में वोट न देने वालों पर जुर्माना लगाने का भी इंतेज़ाम है.

गुजरात के बाद कर्नाटक दूसरी रियासत बन गयी है जहां वोट देना लाज़मी हो गया है. रियासत के गवर्नर वाजूभाई वाला ने “कर्नाटक पंचायत राज संशोधन विधेयक, 2015” को अपनी मंजूरी दे दी. बिल के असर व रसूख में आने के बाद रियासत में अब पंचायत के इलेक्शन में वोट देना लाज़मी हो गया है.

देही तरक्कियाती के वज़ीर एच के पाटिल ने बताया कि रियासत विधानसभा ने मार्च में बिल को पास किया था जिसके बाद हाल ही में गवर्नर वाला ने उसपर दस्तखत कर दिए. हालांकि, दस्तखत करने से पहले उन्होने कुछ वजूहात मांगे थे.

वज़ीर ने बताया कि यह बिल “गुजरात लोकल अथोरिटीस ला बिल, 2009” की तरह है जिसके तहत वोट देना लाज़मी कर दिया गया है. हालांकि, इसके तहत किसी के तहत कानूनी कार्रवाई नहीं की जाएगी.

पाटिल ने कहा कि पंचायत इंतेखाबात में रायदही यानी वोटिंग को लाज़मी करने को लेकर गवर्नर ने कुछ वजूहात मांगे थे. उन्हें हमने वजूहात दे दिए थे जिसके बाद बिल पर उन्होंने अपने दस्स्तखत कर दिए.

काबिल ए ज़िक्र है कि मई के आखिर में कर्नाटक में पंचायत के इंतेखाबात होने हैं और इसमें वोटिंग करना लाज़मी होगा.

नए बिल के मुताबिक, ख्वातीन को 50% रिजर्वेशन मिलेगा और इनमें से कोई नहीं (नोटा) का भी आप्शन है.

2009 में गुजरात में मुकामी बलदियाती इंतेखाबात के लिए बिल लाकर वोटिंग को लाज़मी बनाने की कोशिश की गई थी. हालांकि मौजूदा गवर्नर कमला बेनिवाल ने उस बिल को आईन के आर्टिकल 21 के तहत शहरियों के हुकूक की खिलाफवर्जी बताते हुए उस बिल को नामंजूर कर दिया था. लेकिन गुजरात में 2014 में ओपी कोहली के गवर्नर बनने के बाद इस बिल को मंजूरी दे दी गई.

वोट ना देने पर दो दिन की कैद या 500 रुपये जुर्माना भी किया जा सकता है. ऐसे में अगर कोई किसी भी उम्मीदवार को वोट नहीं देना चाहता तो उसे नोटा पर बटन दबाना ही होगा.

कर्नाटक के देही तरक्कियाती और पंचायती राज के वज़ारत के ज़राये के मुताबिक रियासती हुकूमत ने पंचायत के इंतेखाबात में वोटिंग को ज़ाज़मी बनाने का सुझाव दिया था. वोट देने का सर्टिफिकेट पास रखने वालों को हुकूमत कई तरह की सहूलियात देने पर भी गौर कर सकती है. अगर बीमारी या दिगर कोई वाजिब वजह बताने पर लाज़मी तौर पर वोटिंग से छूट भी मिल सकती है.

फिलहाल ये तजवीज गौर करने के हालत में है इसलिए रियासत में होने वाले पंचायत चुनाव में वोटिंग को लाज़मी करना मुम्किन नहीं होगा. लेकिन इस पंचायती इंतेखाबात में वोट देने वाले सभी लोगों के लिए वोटिंग सर्टिफिकेट ज़रूर जारी किया जाएगा.