अंजुमन इसलामिया मुसलमानों ने गवर्नर झारखंड को एक अर्जदाश्त पेश कर कहा है के रांची ज़िला के तहत चांहों थाना के मौज़ा मुसलमानों में सैकड़ों साल पुराने मजहबी मुकाम कर्बला इमामबाड़ा और कब्रिस्तान हैं। ये ज़मीन खाता नंबर 106, प्लॉट नंबर 124 और रकबा 56.7 एकड़ है। इस पाक ज़मीन पर हज़रत इमाम हुसैन की श्हादत की याद में हमारी गहरी मजहबी अक़ीदत जुड़ी हुयी है लेकिन हमारे मजहबी जज़्बात को नज़र अंदाज़ करते हुये इस पाक ज़मीन पर इंतेजामिया के जरिये ज़बरदस्ती 144 लगा कर नर्सिंग कॉलेज शरीक हॉस्टल की तामीर का काम 28 जनवरी 2014 से शुरू कर दिया गया है जो नाकाबिले बरदास्त है जब के हम अंजुमन इसलामिया मुसलमानो के कर्बला को मानने वाले लोगों ने 19 नवंबर 2013 से ही मौजूजा नर्सिंग कॉलेज के क़याम मजहबी ज़मीन पर कराने के लिए एहतेजाज करते आ रहे हैं लेकिन कहीं भी हमारी बात नहीं सुनी गयी तब मजबूर होकर हम लोगों ने काफी तादाद में मर्द, ख़वातीन और बच्चों के साथ तामीर का काम को फौरन बंद कराने के लिए हड़ताल पर बैठ कर गवर्नर मौसूफ़ से मुताल्बा करते हैं के कर्बला, इमामबाड़ा और क़ब्र की पाक ज़मीन पर तामीरी काम पर फौरन पाबंदी लगाई जाये। दफा 144 को फौरन हटाया जाये।
भूक हड़ताल पर बैठने वालों में श्फ़ीक अंसारी, अब्दुल कयुम अंसारी, अमीरुद्दीन अंसारी, सोनी तबस्सुम, नूर हसन अंसारी, मुमताज़ खातून, ज़रीना खातून, अशरफ अंसारी, फारुक अंसारी, रूबीना खातून, आइनूल अंसारी, रुस्तम अंसारी के नाम शामिल हैं। अब देखना है के गवर्नर डॉक्टर सैयद अहमद इस पर क्या कारवाई करते हैं। भूक हड़ताल पर बैठे लोगों ने बताया के गवर्नर मौसूफ़ से ही अब हम लोगों को इंसाफ की उम्मीद है।
वजेह रहे के कर्बला इमामबाड़ा और कब्रिस्तान की ये ज़मीन सैकड़ों साल पुरानी है जिसका खाता नंबर 106 और प्लॉट नंबर 124 है और इसका रकबा 56.17 एकड़ है और ये मुसलमानों की मिल्कियत है। आखिर ज़िला इंतेजामिया ने इस ज़मीन पर नर्सिंग कॉलेज और हॉस्टल की तामीर की मंजूरी किस बुनियाद पर दी ये जांच का मौजू है। इस सिलसिले में हेमंत सोरेन को खुसुसि तौर से तवज्जो देने की ज़रूरत है क्योंके इससे अमन में खलल पड़ने का खदशा है।