कर मेहनत तो खा नेअमत

शाहीन कॉलेज की साबिक़ तालिबात का तास्सुर
बीदर,22 जनवरी: ।( ई मेल )हाफ़िज़ा डाक्टर इशरत फ़ातिमा शाहीन पी यू साईंस कॉलेज के पहले बैच से ताल्लुक़ रखती हैं, बीदर की ये हाफ़िज़ा डाक्टर इशरत फ़ातिमा गोहाटी में एम डी (गावना को लो जस्ट )कोर्स कररही हैं। वो बीदर अपने वतन आई थीं इस मौक़े पर शाहीन कॉलेज में साल दोम की तालिबात से मुलाक़ात और ख़िताब का एक ख़ुसूसी इजलास रखा गया।हाफ़िज़ा डाक्टर इशरत फ़ातिमा ने तालिबात से कहा कि पी म्यू के दो साल इंतिहाई अहम होते हैं, इन ही दो साल में तलबा के मुस्तक़बिल की बुनियाद पड़जाती है जिस की बिनापर हम अपनी क़ौम, शहरिया मुल्क के लिये कुछ करसकते हैं।

इस लिए सख़्त मेहनत करते हुए स्टडी की जाये, इस सख़्त मेहनत के बाद जो सिला मिलेगा इस के लुत्फ़ की कैफ़ियत नाक़ाबिल बयान होगी हाफ़िज़ा इशरत का ताल्लुक़ क़ुरैश बिरादरी से है। और बीदर का ये वाहिद ख़ानदान है जिस के घर के चार अफ़राद डाक्टर हैं या डाक्टरिय‌ट कररहे हैं। इशरत की दूसरी बहन बी डी एस करने के बाद एम डी एस चेन्नाई से कररही हैं। नाज़िया एम बीबी एस का तीसरा साल मुकम्मल कर लिया है।

एक भाई अकरम ने इमसाल एम बीबी एस मुकम्मल कर लिया है। और ये तमाम लड़के अपनी इबतिदाई और पी म्यू कॉलेज की तालीम शाहीन इदारा से मुकम्मल करचुके हैं।इस लिए इशरत कहती हैं कि में ने पहले हिफ़्ज़ मुकम्मल किया इस के बाद असरी तालीम में एम डी की तालिबा हूँ। मेरी मिसाल जहां कहीं दी जाती है उस की वजह शाहीन इदारा जात बीदर के सकरेड़ी अबदुलक़दीर हैं ,
क्योंकि सर ने मुख़्तलिफ़ जदीद तरीक़ों से हमें तालीम दिलाने में अहम रोल अदा किया है।

आज भी वो हमारा काफ़ी ख़्याल रखते हैं जबकि अब उन से हमारा तालीमी ताल्लुक़ नहीं है। इशरत फ़ातिमा ने तालिबात से कहा कि सख़्त मेहनत से तालिबात की सेहत मुतास्सिर नहीं होती। एसा ख़्याल बातिल है। तालिबात को ख़ूब मेहनत करना चाहिए।शाहीन कॉलेज में ग्रुप वाइस तक़सीम करके पढ़ाने का तजुर्बा इंतिहाई मोस्सर और कामयाब है इस से तुम्हें इस्तिफ़ादा करना चाहिये।

एम बीबी एस की तालिबा और इशरत की छोटी बहन डाक्टर नाज़िया ने इस मौक़े पर अपने ख़िताब में कहा कि आज हम बहनें जो कुछ हैं उस की वजह सख़्त मेहनत और अबदुलक़दीर सर की रहनुमाई है। नाज़िया ने तालिबात को हौसला दिलाते हुए कहा कि ख़ुद पर भरोसा रख कर तालीम हासिल करने से आगे बढ़ने के मौक़े मयस्सर आते हैं।

जो कुछ पढ़ें मुकम्मल समझ कर पढ़ें। ये दो साल जितनी मेहनत होगी इस का इतना ही फल मिलेगा। महर सुलताना हेड मिस्ट्रेस ने हाफ़िज़ा डाक्टर इशरत फ़ातिमा और डाक्टर नाज़िया फ़ातिमा की गलपोशी की। अबदुलक़दीर सकरेड़ी शाहीन इदारा जात ने निज़ामत के फ़र्ज़ अंजाम दिए।