पटना : बिहार की सियासत के बड़े भाई और छोटे भाई को फिर से एक होने में लंबा वक़्त जरूर लगा, लेकिन इस मिलन की पहल भी मौजूदा सदर ए जमहुरिया के तौर में डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने ही की थी। डॉ. कलाम की याद में शोकसभा में वजीरे आला नीतीश कुमार साल 2003 की उस वाकिया को खुद बयां करते चले गए।
जदयू दफ्तर में मुनक्कीद शोकसभा में उन्होंने कहा कि कलाम साहब कर्मयोगी थे। बात 2003 की है, मैं रेल वज़ीर था। हमारे दावत पर सदर के तौर में डॉ. कलाम हरनौत रेल कारखाना का संगे बुनियाद करने के लिए आए। पटना से हरनौत तक रेल की सफर की। हरनौत प्रोग्राम के एख्तेताम के बाद उन्होंने पटना जंक्शन आकर पटना-गया बिजली रेलवे लाइन का इफ़्तिताह किया। उस प्रोग्राम में राजद सदर लालू प्रसाद भी मौजूद थे। उस वक़्त बिहार में राजद की हुकूमत थी। डॉ. कलाम ने मेरा और लालू का हाथ पकड़कर कहा कि तरक़्क़ी में सबका साथ होना चाहिए। इस पर सियासत नहीं होनी चाहिए। अगर तरक़्क़ी के टार्गेट को पूरा करना है तो सबको साथ चलना होगा। आप दोनों मिलकर तरक़्क़ी का काम कीजिए। आज मैं उस वाकिया को याद करता हूं तो उसके बहुत से मतलब खुलकर सामने आते हैं।
वजीरे आला ने कहा कि एक प्रोग्राम में मैंने डॉ. कलाम से बिहार में साइंस सिटी की कायाम पर बातचीत की और इसके लिए उनसे रहनुमाई मांगी। उन्होंने तजवीज दिए। साइंस सिटी की तामीर का फैसला लिया जा चुका है। पटना में जब भी साइंस सिटी की तामीर होगा, उसका नाम डॉ. कलाम के नाम पर ही रखा जाएगा। जुमेरात को कैबिनेट की बैठक में साइंस सिटी के नाम रख दिया जाएगा। इससे पहले किशनगंज ज़िराअत कॉलेज का नाम डॉ. कलाम के नाम रखा गया है। पूर्णिया ज़िराअत कॉलेज का नाम मरहूम भोला पासवान शास्त्री के नाम पर किया जाएगा।