रांची 30 जून : पशुपालन घोटाले के मुजरिम बिहार के साबिक़ वजीर ए आला लालू प्रसाद के आरसी20ए/96 मामले में फिर सीबीआई ने जुमा को सुनवाई में हाईकोर्ट में पूरे हकीक़त नहीं रखे हैं। सीबीआई की इस लापरवाही पर सवाल उठने लगे हैं।
जुमा को हाइकोर्ट में लालू प्रसाद की उस दरख्वास्त पर बहस हुई थी, जिसमें उन्होंने सीबीआई अदालत के जज पीके सिंह को अपने मुखालिफ पीके शाही का नजदीकी बताया है और यह कहते हुए कि उन्हें इस अदालत से इन्साफ मिलने की उम्मीद नहीं है, उनके मामले की सुनवाई दूसरे अदालत में कराने की मांग की है। इस मामले में फैसला पीर तक के लिए महफूज रखा गया है।
जुमा को हाईकोर्ट में सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील राम जेठमलानी ने जब बहस की, तो सीबीआई की तरफ से कमजोर तरीके से हक रखा गया। हाईकोर्ट को न तो सुप्रीम कोर्ट के साल 1996 के उस जजमेंट की जानकारी दी गई, जिसके तहत लालू प्रसाद की मांग पर ही हाईकोर्ट की मानिटरिंग बेंच का तशकील हुआ था। और न ही झारखंड हाईकोर्ट के 17 जून 2013 के उस फैसले का ज़िक्र किया गया, जिसमें चीफ जस्टिस प्रकाश टाटिया और जस्टिस जया राय ने ट्रायल कोर्ट को आरसी20ए/96 के मामले का जल्द अमलदार आमद की हिदायत दिया था और सुनवाई के लिए छह अगस्त की तारीख मुक़र्रर की थी। इसी के रौशनी में सीबीआई के खुसूसी अदालत ने 15 जुलाई को इस मामले में फैसले की तारीख का ताईन किया था।
क्या कहा था हाईकोर्ट की मॉनिटरिंग बेंच ने
पशुपालन घोटाले मामले की मॉनिटरिंग हाईकोर्ट की डबल बेंच कर रही है। चीफ जस्टिस प्रकाश टाटिया और जस्टिस जया राय ने 17 जून 2013 को जारी हुक्म में कहा था कि सिर्फ दो मुजरिमों के नहीं आने की वजह ढाई माह से बहस पूरी नहीं हो पा रही है। कुल 45 में से 43 मुजरिमों के मामले में बहस पूरी कर ली है। इसलिए ट्रायल कोर्ट तेजी से मुकदमों का निस्तार करे।
इस मामले में भी सीबीआई ने अदालत के सामने कमजोर दलील पेश किए थे और कहा था कि एक मुजरिम की तबीयत खराब है, इसलिए वे सुनवाई में नहीं आ पा रहे हैं, जिसकी वजह ताखीर हो रहा है। हकीकत यह थी कि जिस मुजरिम की तबीयत खराब होने की बात सीबीआई कह रही थी वह झारखंड हाईकोर्ट में आते रहते थे।
सीबीआई की किरदार पर उठाए थे सवाल
भाजपा के साबिक़ असेंबली रुक्न सरयू राय ने भी सुनवाई के पहले इस बात की इमकान जताई थी कि राजद सरबराह लालू प्रसाद के मामले में सीबीआई कमजोर तरीके से अपना हक रख सकता है। सरयू राय ने कहा था कि लालू यादव सोची-समझी पालिसी के तहत अदालत को ताखीर करने का काम कर रहे