आतंक के आरोप में कश्मीरी इंजीनियर को उम्रक़ैद, भाई बोला कश्मीरी होने की सजा

बेंगलुरू के एक सत्र न्यालय ने कथिततौर पर एक कश्मीरी सॉफ्टवेयर इंजीनियर बिलाल अहमद कोटा को लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) से जुड़े होने के इल्जाम में आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। हालांकि बिलाल अहमद के परिवार के सदस्यों का कहना है कि बिलाल शहर में व्यवसाय करने आया था मगर बेंगलुरू पुलिस ने उसे साजिश के तहत फंसाया। बिलाल अहमद कोटा श्रीनगर के सादराबल दरग़ाह के रहने वाले है। उन्हें कर्नाटका पुलिस ने दिसंबर 2005 में गिरफ्तार किया था। उसके बाद से वे बेंगलुरू जेल में बंद हैं। बिलाल के भाई हिलाल अहमद का कहना है कि राजनीतिक रसूख और पैसे की कमी के कारण उनके भाई को यह दिन देखना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि उनके भाई को सत्र न्यायाधीश लालकृष्ण एम हीरेमाथ ने बेंगलुरू में आईटी कंपनियों और महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों पर हमले की साजिश करने के आरोप में सजा सुनाई गई है।

उन्होंने बताया कि उनके भाई को कोर्ट ने 4 अक्टूबर को गैर-कानूनी गतिविधि अधिनियम, शस्त्र अधिनियम और भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत दोषी माना है। उन्होंने यह भी कहा कि बिलाल पहले ही दस साल तक जेल में रह चुका है। उनका कहना है कि उनके भाई के खिलाफ मामने गढ़े गए है। यह एक कश्मीरी होने की वजह से किया गया। हिलाल ने बताया कि बिलाल एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर है, जो दूसरे लोगों की तरह 1990 में सीमा पार गया। उसके बाद जब वह लौटा तो उसे गिरफ्तार कर लिया गया। फिर बाद में रिहा कर दिया गया। उसके रिहाई के कुछ ही दिनों बाद उसने अपना व्यवसाय शुरू किया मगर 2005 में बेंगलुरू पुलिस ने उसे एक झुठे आरोप में फंसा दिया। मेरे पिता इस आशा में मर गए कि एक दिन बिलाल रिहा ज़रूर होगा।

बिलाल की पत्नी शिबा ने कहा कि हमारी एक बेटी है। जब वह छह साल की थी तब उसके पिता को गिरफ्तार कर लिया गया। हमारी हैसियत ठीक नहीं है। हम अच्छे वकील नहीं कर पाए। हमारे पास इतनी सलाहियत नहीं थी कि हम हर महीने बेंगलुरू जा सकें। हम भारत सरकार और राज्य सरकार से विनम्र अपील करते हैं कि हमारे पति को श्रीनगर सेंट्रल जेल में शिफ्ट किया जाए।

कश्मीर उज्मा अखबार के मुताबिक एक शीर्ष बेंगलुरू पुलिस अधिकारी से पूछने पर उसने बताया कि बिलाल को कर्नाटक आतंकवाद निरोधी सेल ने 5 जनवरी, 2007 को एक मुख्य आरोपी के तौर पर गिरफ्तार किया था। अधिकारी ने बिलाल की पत्नी के इस आरोप का जोरदार खंडन किया कि उसे एक कश्मीर का निवासी होने नाते उठाया गया था।