कश्मीरी जनता के लोकतांत्रिक अधिकारों को कुचलने का सिलसिला रोका जाए: माकपा प्रवक्ता

नई दिल्ली: माकपा ने आज कहा कि पाकिस्तान के खिलाफ कूटनीतिक अभियान तब तक पूरी तरह प्रभावी नहीं हो सकता जब तक केंद्र सरकार कश्मीरी जनता के लोकतांत्रिक अधिकारों को कुचलने का सिलसिला बंद न करे। माकपा ने सरकार से कहा कि वह तत्काल जम्मू-कश्मीर में सभी पक्षों से बातचीत करे ताकि विवाद को हल किया जा सके। यह स्पष्ट करते हुए उरी में हुई हमला कश्मीर घाटी में बढ़ता तनाव के दौरान हुई है। पार्टी ने सरकार से कहा कि यह आतंकवादी हमला जिसमें 18 सैनिक मारे गए हैं ‘घाटी में दबाने कुचलने के प्रयासों के लिए एक और बहाना या बहाना नहीं हो सकता। पार्टी के प्रवक्ता पत्रिका सार्वजनिक लोकतंत्र में एक संपादकीय में पूर्व माकपा महासचिव प्रकाश करात ने केंद्र से कहा कि वह जहां पूरी कूटनीतिक कवायद शुरू कर वहीं उसे एक्सासाइज़‌ पहल भी करनी चाहिए ताकि आतंकवादी संगठनों को पाकिस्तान की मदद को उजागर किया जा सके।

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के खिलाफ कूटनीतिक अभियान तब तक पूरी तरह कारगर साबित नहीं हो सकता जब तक मोदी सरकार कश्मीरी जनता के लोकतांत्रिक अधिकारों को कुचलने और वहाँ घातक हथियारों जैसे पैलेट गनस के उपयोग को रोकने के लिए कदम न करे। करात ने कहा कि सरकार को चाहिए कि वह किसी भी आगे देरी के बिना राज्य में सभी राजनीतिक दृष्टिकोण रखने वालों से बातचीत शुरू करे। उन्होंने इस बात की जांच के लिए भी जोर दिया कि आतंकवादी कैसे लाईन ऑफ कंट्रोल पार करने में सफल हुए और बेहद सशस्त्र शिविर में कैसे प्रवेश गए। उन्होंने आत्मघाती दस्तों की घुसपैठ से उत्पन्न खतरों से निपटने व्यापक उपायों की मांग की। उन्होंने कहा कि पूरे धैर्य से काम लेते हुए हमें लाईन ऑफ कंट्रोल पर सेक्यूरिटी व्यवस्था को मजबूत करने की जरूरत है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके घुसपैठ की कोशिश सफल न होने पाए। उन्होंने हालांकि कहा कि अमेरिका से बढ़ती क़राबत भारत के लिए कारगर साबित नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने उरी हमलों की निंदा की लेकिन उसने पाकिस्तान का उल्लेख नहीं किया है जबकि रूस ने इन हमलों की निंदा की और उसने भारत के इसको भी स्वीकार कर लिया कि आतंकवादी पाकिस्तान से लाईन ऑफ कंट्रोल पार करना आए थे।