कश्मीरी पंडितों ने आज भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35 ए को अतीत का “अनावश्यक बोझ” बताया और इन कानूनों को निरस्त करने की मांग की।
विस्थापित कश्मीरी पंडितों का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था पनून कश्मीर के अध्यक्ष अश्विनी कुमार छरंगू ने कहा कि ये कानून “भारतीय संविधान के तहत भारतीय नागरिकों को मिले मौलिक अधिकारों का खंडन” करते हैं।
“इन्हें जल्द से जल्द निरस्त कर देना चाहिए।” अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देता है जबकि अनुच्छेद 35ए राज्य विधानसभा को स्थायी नागरिक परिभाषित करने की शक्ति देता है।
छरंगू ने संवाददाताओं को बताया, “हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35ए अतीत का एक अनावश्यक बोझ बन गए हैं।” वर्ष 2007 में अपनी मांगों के समर्थन में आयोजित किए गए 50 दिवसीय कश्मीर ‘संकल्प यात्रा’ के दस वर्ष पूरे होने पर कश्मीरी पंडितों ने जम्मू में आज एक ‘दशक कार्यक्रम’ का आयोजन किया।
कश्मीरी पंडितों के हितों का प्रतिनिधितित्व करने वाली कश्मीरी डिसप्लेस्ड सिख फोरम और यूथ ऑल इंडिया कश्मीर समाज जैसी कई संस्थाओं ने इस कार्यक्रम में भाग लिया।