एशिया कप में हिंदुस्तान के खिलाफ पाकिस्तान की जीत पर जश्न मनाने वाले कश्मीरी स्टूडेंट्स से उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार ने जुमेरात की देर रात बगावत का केस वापस ले लिया। पुलिस ने जिन 67 स्टुडेंट्स के खिलाफ बगावत का केस दायर किया था, वे सभी मेरठ की स्वामी विवेकानंद सुभारती यूनिवर्सिटी (एसवीएसयू) के स्टूडेंट हैं। इतवार के रोज़ हिंदुस्तान और पाकिस्तान के बीच हुए एशिया कप के मुकाबले में इन स्टूडेंट्स ने पाकिस्तान की जीत पर जश्न मनाया था।
इस क्रिकेट मैच में पाकिस्तान ने जबरदस्त मुकाबले में हिंदुस्तान को एक विकेट से हरा दिया था। इस वाकिया की इत्तेला मिलने के बाद यूनिवर्सिटी इंतेज़ामिया ने इन स्टूडेंट्स को सस्पेंड कर दिया था। मेरठ के एसएसपी ओंकार सिंह ने बताया था कि इस मामले में पुलिस ने नामालूम स्टूडेंट्स के खिलाफ दफा 124(ए) के तहत बगावत का केस दायर किया गया था।
इन स्टूडेंट्स की तरफ से जमात-उद-दावा के चीफ हाफिज सईद ने हमदर्दी जताई है। हाफिज ने ट्वीट के जरिए कहा है कि हम यूनिवर्सिटी से बाहर निकाले गए स्टूडेंट्स को स्कॉलरशिप देने की पेशकश करते हैं। पाकिस्तान को इन बच्चों पर नाज है।
कश्मीर में रूलिंग नेशनल कांफ्रेंस के साथ ही जम्मू-कश्मीर की अपोजिशन पीपुल्स डेमोक्रोटिक पार्टी ने एक क्रिकेट मैच के दौरान पाकिस्तानी टीम के हक में मेरठ में मुबय्यना तौर पर नारेबाजी करने वाले कश्मीरी स्टूडेंट्स के खिलाफ लगाए गए बगावत के इल्ज़ाम को जुमेरात के रोज़ हटाने की मांग की।
इस मैच में हिंदुस्तान हार गया था। पीडीपी ने कहा है कि उत्तर प्रदेश की हुकूमत और युनिवर्सिटी को उनसे माफी मांगनी चाहिए।
पीडीपी के तर्जुमान नईम अख्तर ने नामानिगारों को बताया कि जैसा कि मीडिया में खबर आई है, युनिवर्सिटी\ के इंतेज़ामिया ने कुबूल किया है कि 200 स्टूडेंट्स (कश्मीरियों) के बीच सिर्फ कुछ ही मुसीबत पैदा करने वाले हैं। उन सभी का बोरिया बिस्तर बांध कर भेज कर उन्हें सजा दी गई है। यह एक फाशिस्ट (Fascist) ज़हनियत को जाहिर करता है।