श्रीनगर: घाटी में पिछले 73 दिनों के गंभीर स्थिति के दौरान आंखों पर पट्टी लगने से दृष्टि खोने वाले युवाओं का कहना है कि हिंसा के कई चरणों से गुजरने के बाद जो दृष्टि वापस आती है वह मेहमानों सा बर्ताव करके कुछ मिनट रहने के बाद ही वापस चली जाती है और वह फिर से दृष्टि खो देते हैं और कुछ समय अंधेरा छाने के बाद फिर से आँखों में हल्की सी प्रकाश महसूस होती है.
श्रीनगर के सदर अस्पताल में दृष्टि विभाग के विशेषज्ञों का कहना है कि यह जरूरी नहीं है कि सभी युवाओं में हासिल की गई दृष्टि बनी रहे, ऐसे युवाओं में वापस पाने वाली दृष्टि कभी भी जा सकती है। वर्तमान स्थिति के दौरान श्रीनगर के सदर अस्पताल में लगभग 873 घायल युवाओं का प्रवेश किया गया जिनमें लगभग 27 नोजवान पूरी तरह से आंखों की दृष्टि से वंचित हो गए हैं जबकि अन्य नोजवानों को अंधेरों के कई चरणों से गुजरना पड़ा है. पैलट गन लगने से आंखों की दृष्टि खोने वाले युवा लोगों में से पांच को राज्य सरकार ने ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज दिल्ली स्थानांतरित किया हालांकि एम्स में 20 दिन बीतने के बाद फिरदौस अहमद डार और जाहिद अहमद बट नामक युवकों की आंखों पर दूसरी चरणों की सर्जरी श्रीनगर में भारत के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ। एस नटराजन ने 21 अगस्त को अंजाम दिया लेकिन उक्त युवक अब भी पूरी तरह दृष्टि वापस नहीं पाया है।
श्रीनगर के सदर अस्पताल में मिडिया के साथ बात करते हुए फिरदौस अहमद डार ने कहा ” पैलेट लगने के बाद डॉक्टरों ने बताया था कि 6 सप्ताह बीतने के बाद ही वह बता सकते हैं कि मरीजों को कितना प्रतिशत रोशनी मिल सकती है मगर दो महीने से अधिक समय बीतने के बावजूद अब तक जो दृष्टि लौटी है वह भी मेहमानों सा ही बर्ताव करती है ” .पेलट लगने से दोनों आंखों की दृष्टि खोने वाले फिरदौस अहमद का कहना है कि कुछ मिनट रहने के बाद आंखों पर फिर से अंधेरा छा जाता है और मैं कुछ भी महसुस करने में असमर्थ रह जाता हूँ मगर कुछ ही क्षणों के बाद ही यह दृष्टि धीरे धीरे वापस आ जाती है. फिरदोस अहमद ने अधिक बात करते हुए कहा, ” अब भविष्य अंधकारमय है, कोई भी ठीक ढंग से कुछ नहीं कहता ” फिरदौस अहमद डार के साथ 23 जुलाई को एम्स स्थानांतरित किए गए सुपोर के रहने वाले जाहिद अहमद बट ने भी कुछ ऐसे ही विचार व्यक्त करते हुए कहा ” दो मरहले से गुजरने के बाद हालांकि दृष्टि में काफी सुधार हुआ है, लेकिन कभी कभी कुछ क्षणों के लिए आंखों पर एक बार फिर से अंधेरा छा जाता है और कुछ मिनट अंधेरा छाने के बाद फिर से आंखों में दृष्टि आने लगती है.
श्रीनगर के सदर अस्पताल दृष्टि विभाग के विशेषज्ञ डॉक्टर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, ” दृष्टि वापस आने का इसका मतलब यह नहीं है कि आँखों का यह प्रकाश हमेशा के लिए बना रहेगा। ‘ उक्त डॉक्टर ने बताया कि लौटी दृष्टि कभी भी संक्रमण की वजह से हो सकती है। उक्त डॉक्टर ने बताया ” कुछ प्रतिशत दृष्टि वापस पाने के लिए बड़ी बात है मगर दृष्टि बनाए रखने के लिए संक्रमण से बचना होगा, प्रकाश आने और फिर से जाने का मतलब आँख स्वस्थ हो रही है मगर मूल उद्देश्य आंख की नजर को अधिक बढ़ाने का है जो समय के साथ होगा। उक्त डॉक्टर ने बताया कि संक्रमण से बचाने के लिए ही इन युवकों का निरीक्षण हर 15 दिन बाद किया जाता है और यह सिलसिला पूरे एक साल तक चलेगा। गौरतलब है कि 27 जुलाई को दिल्ली के एम्स से आई डाक्टरों की तीन सदस्यीय टीम ने इस बात की घोषणा की थी कि पैलट से आंखों की दृष्टि खोने वाले युवाओं को 6 सप्ताह के बाद ही पता चलेगा कि वह कितनी प्रतिशत रोशनी वापस प्राप्त कर सकते हैं, जबकि उधर सदर अस्पताल में दृष्टि विभाग के डॉक्टरों का कहना है कि अब तक 700 युवाओं की प्रारंभिक ऑपरेशन अंजाम दी जा चुकी हैं।