कश्मीर एक पुरअमन मुक़ाम है। हम इस जन्नतनिशॉँ सरज़मीन पर हनूज़ ज़िंदा हैं। इस का मतलब यही है कि दहश्तगर्दी मौजूद है लेकिन इस का ख़ातमा ज़रूरी है।
ये एहसासात उन 10 कश्मीरी तालिबात के ग्रुप का था जिस ने आज दार-उल-हकूमत दिल्ली का दौरा किया। ये ग्रुप वादिये कश्मीर में कुपवाड़ा टाउन से ताल्लुक़ रखते है।
तालिबात ने पहली मर्तबा दार-उल-हकूमत दिल्ली का दौरा करते हुए अपने एहसासात का इज़हार किया है। द्वारका में जे डी दो निका स्कूल में उन्होंने अपनी साथी तालिबात से तबादला-ए-ख़्याल किया।
तालिबात ने स्कैटिंग, पंजाबी डांस और दीगर पकवान क्लासेस में शिरकत की। 4 टीचर्स के साथ आने वाली इन तालिबात ने आइन्दा चार दिन तक दिल्ली के मुख़्तलिफ़ तालीमी इदारों का दौरा करने का प्रोग्राम बनाया है। दसवीं क्लास की तालिबा ने कहा कि वो योगा सीखना चाहती है। ये जिस्म के लिए बेहतरीन वरज़िश है।