कश्मीर की हालत और बिगड़ी, लड़कियों ने सडको पर की पथरबाज़ी

कश्मीर घाटी की सड़कों पर युवा लड़को और पुरुषो का पत्थर फेंकना एक आम बात है।

लेकिन हर कोई आश्चर्यचकित हो गया जब उन्होंने लड़कियों को जिनमे से कुछ स्कूल की वर्दियों मे थी और कुछ ने हिजाब से अपना मुँह ढका हुआ था, उन्हें सडको पर पत्थर फेंकते हुए देखा। यह लड़किया प्रदर्शनकारियों के साथ मिल कर पुलिस के वाहनों पर पत्थर फ़ेंक रही थी ।

शायद पहली बार जब लड़किया सड़कों पर पहुंची वो पिछला हफ्ता था, जब उनमें से कई विरोध प्रदर्शनों में सबसे आगे थी। हिंसा के कारण उनमे से कम से कम एक गंभीर रूप से घायल हो गया था।

सोमवार को कई लोगों ने फिर से विरोध किया और लाल चौक जो वाणिज्यिक केंद्र है उसमे ठहराव आ गया।

लड़कियां प्रतिष्ठित ‘सरकारी महिला कॉलेज, एमए रोड’ और पास के ‘कोठी बाग हायर सेकेंडरी स्कूल’ की जूनियर थी। उन्हें भारत विरोधी और तत्कालीन आजादी के नारे लगते हुए देखा गया।

बाद में पत्थरों और प्लास्टिक शंकुओं के साथ सशस्त्र लड़कियों ने एक्सचेंज रोड पर तीन पुलिस वाहनों को घेर कर उनपर पत्थर फेंके।

“यहां तक ​​कि स्टन-ग्रेनेड, पावा के गोले और आंसू-धुंए के गोले भी उन्हें रोक नहीं सके”। वे आंसू-धुआं की गोलीबारी के बावजूद आठ बार बाहर आने में कामयाब रहीं,” एक पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया।

इस परिस्थिति पर नियंत्रण पाने के लिए पुलिस को परिसर के अंदर आंसू धुआं से गोलाबारी करनी पड़ी।

तीन घंटे से अधिक समय तक लड़कियां पुलिस वाहनो को रोकती रही। लड़कियों का एक समूह एक पुलिस गश्ती दल को पीछे करने में भी सफल रहा।

“कश्मीर में लोग दिन पर दिन मरते जा रहे हैं । राज्य हमें हरा तरफ से कुचल रहा है। हम इस स्थिति से अलग कैसे रह सकते हैं ? वक्त आ गया है की कश्मीर को समस्या को एक बार मे हमेशा के लिए ख़तम कर दिया जाये”, ‘कोही बाग हायर सेकेंडरी स्कूल’ की बारहवीं कक्षा की छात्र ने कहा।

हालांकि, सोमवार को लड़कियों के द्वारा किया गया कृत्या दुर्लभ था, परन्तु पुलिस वाहनों पर कूदने के उनके प्रयास काफी साहसी थे।