केन्द्रीय मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने रविवार को कहा कि कश्मीर के तथाकथित मुख्यधारा के नेता अलगाववादी नेताओं से भी अधिक खतरनाक हैं। अलगाववादियों के रुख का पूवार्नुमान है, लेकिन ये नेता राजनीतिक सुविधा के अनुसार अपना रुख तय करते हैं।
मानवाधिकार दिवस की पूर्व संध्या पर यहां भाजपा मुख्यालय में एक संगोष्ठी में संबोधन के दौरान उन्होंने आरोप लगाया कि अलगावादी नेता दोषसिद्धि के कारण नहीं, बल्कि अपनी सुविधाओं के लिहाज से अलगाववादी हैं। वहीं मुख्यधारा के ये नेता अपनी सुविधाओं के लिहाज से पाला बदलते रहते हैं। जरूरत पड़ने पर अलगाववादी बन जाते हैं।
उन्होंने कहा कि कश्मीर केंद्रित राजनीतिक पार्टियां सुरक्षा बलों पर भी अंगुली उठाती हैं भले ही उनके पास कोई पुख्ता सबूत भी न हो। मानवाधिकारों के ये रहनुमा कभी भी इतना साहस नहीं रखते हैं कि किसी आतंकवादी को आतंकवादी कह दें।
आतंकवाद प्रभावित कश्मीर घाटी को “झूठे बौद्धिक दावों की उपजाऊ जमीन” करार देते उन्होंने कहा कि “बौद्धिक आतंकवाद” ने सबसे अधिक नुकसान पहुंचाया है। यह आतंकवादियों और उनके आकाओं के बीच गठजोड़ में पूरक की भूमिका निभाता है।