अडवानी की जानिब से मुल्क के अव्वलीन वज़ीर-ए-आज़म पण्डित जवाहर लाल नहरू पर इस इल्ज़ाम के बाद कि 1948 के बाद वो कश्मीर में हिंदुस्तानी फ़ौज रवाना करने के मुख़ालिफ़ थे ,सीनियर सहाफ़ी प्रेम शंकर झा ने कहा कि दरहक़ीक़त उनके और सरदार वल्लभ भाई पटेल के दरमयान इख़तिलाफ़ इस मसला पर नहीं था कि कश्मीर को फ़ौज रवाना की जाये या नहीं बल्कि इन हालात के बारे में था जिन में ऐसा किया जाना चाहिए था।
प्रेम शंकर झा ने हक़ायक़ को बिल्कुल दरुस्त तौर पर बयान करने की ख़ाहिश करते हुए कहा कि मुल्क के अव्वलीन वज़ीर-ए-आज़म कश्मीर को हिंदुस्तानी फ़ौज रवाना करने के मुख़ालिफ़ नहीं थे। दिसम्बर 1993 में दिए हुए इंटरव्यू का हवाला देते हुए अडवानी ने ये नताइज अख़ज़ किया है कि कबायलियों के 1947 में पाकिस्तानी फ़ौज के इश्तिराक से जम्मू-ओ-कश्मीर पर हमले के बाद पण्डित नहरू को वहां फ़ौज रवाना करने के बारे में वैसे ही ज़हनी तहफ़्फुज़ात थे जैसे कि छः माह बाद हैदराबाद के ख़िलाफ़ इसी किस्म की कार्रवाई के सिलसिला में पैदा हुए थे।
प्रेम शंकर झा ने कहा कि अडवानी ने जेनरल मानक शिंह के इंटरव्यू को बददियानती के साथ पेश किया है और ये उनका अपना अख़ज़ क्या हुआ नतीजा है कि कश्मीर में फ़ौज रवाना करने के सिलसिला में सरदार पटेल और नेहरू के दरमयान इख़तिलाफ़ था उनका ये दावे सरासर ग़लत है। उन्होंने कहा कि वो सिर्फ़ इस लिए ये बयान जारी कररहे हैं कि दरुस्त हक़ायक़ मंज़रे आम पर आसके क्योंकि उनकी तसनीफ़ को भी अडवानी ने अपने मक़सद केलिए इस्तिमाल किया है।