श्रीनगर
कश्मीर में आज अलहैदगी पसंद ग्रुपस की जानिब से बंद की अपील पर आम ज़िंदगी मुतास्सिर होगई जबकि वादी में मुहाजिर अक़िलियती बिरादरी (कश्मीरी पण्डित) के लिए अलाहदा टाउन शिप के क़ियाम की तजवीज़ के ख़िलाफ़ ये एहतेजाज किया गया था। श्रीनगर में दुकानात, तिजारती और तालीमी इदारे और पैट्रोल पंपस बंद रखे गए जबकि सरकारी दफ़ातिर और बैंकों में मुलाज़मीन की हाज़िरी मामूली रही।
सरकारी ज़राए ने बताया कि अवामी ट्रांसपोर्ट सड़कों से हटा दिया गया जबकि ख़ानगी कारें, बस और ऑटोरिक्शा बाज़ मुक़ामात पर चिलाए गए। वादी कश्मीर के दीगर अज़ला हेडक्वार्टर्स से भी इसी नौईयत की रिपोर्टस मौसूल हुई हैं। अलहैदगी पसंद तंज़ीमों बिशमोल जे के एल एफ़ और हुर्रियत कान्फ़्रेंस के मुनक़सिमा ग्रुपस ने आज वादी में कश्मीरी पंडितों के लिए ख़ुसूसी कालोनीयों की तामीर के ख़िलाफ़ बंद मनाने का ऐलान किया था।
चीफ़ मिनिस्टर मुफ़्ती मुहम्मद सईद ने रियासती असेम्बली में ये वज़ाहत करदी थी कि कश्मीरी पंडितों के लिए अलाहदा टाउन शिप की तामीर का कोई मंसूबा नहीं है लेकिन अक़िलीयती बिरादरी की वादी कश्मीर को वापसी के लिए इक़दामात किए जाऐंगे। इस तजवीज़ के ख़िलाफ़ लाल चौक के इलाक़ा मैसूमा और दीगर मुक़ामात पर कल भी एहतेजाजी मुज़ाहिरे किए गए थे।
वादी में मुक़ीम कश्मीरी पंडितों का एक ग्रुप जे के एल एफ़ के एहतेजाज में शामिल होगया था और कहा था कि मुहाजिर पंडितों के लिए ख़ुसूसी कालोनीयों की तामीर की चंदाँ ज़रूरत नहीं है। दरीं असना विश्वा हिंदू परिषद ने आज मर्कज़ी और रियासती हुकूमतों से अपील की है कि कश्मीरी पंडितों की वादी को वापसी के मंसूबा बंदी से क़बल उन्हें एतिमाद में लेने के लिए मुशावरत करें।
दाएं बाज़ू की कट्टर हिंदू तंज़ीम ने ये ऐलान किया है कि अलहैदगी पसंदों को बेनकाब करने के लिए मुल्क गीर सतह पर बेदारी मुहिम चलाई जाएगी जोकि कश्मीरी पंडितों की वादी को वापसी के मुख़ालिफ़ हैं। वी एच पी के रियासती सरपरस्त रमाकांत दूबे ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि वादी कश्मीर में इज़्ज़त-ओ-एहतिराम के साथ पंडितों की बाज़ आबादकारी की जानी चाहिए क्योंकि गुज़िश्ता 5000 साल से कश्मीर में वो हक़ मिल्कियत रखते हैं लेकिन पंडितों की वापसी और बाज़ आबादकारी से क़बल उन्हें एतिमाद में लिया जाये।
उन्होंने ये शिकायत की कि हुकूमत ने अब तक पंडितों के साथ कोई बातचीत नहीं की और ना ही कश्मीर में बाज़ आबादकारी के तरीका-ए-कार की तफ़सीलात पेश की गई हैं। वाज़िह रहे कि जम्मू-कश्मीर में दहशतगर्दी के उरूज के ज़माना में अस्करीयत पसंदों ने कश्मीरी पंडितों को भी निशाना बनाया था जिस के बाइस कश्मीरियत का जज़बा मजरूह होगया और अपनी जान बचाने के लिए कश्मीरी पण्डित महफ़ूज़ इलाक़ों बिलख़ुसूस क़ौमी दार-उल-हकूमत नई दिल्ली में पनाह हासिल करली थी। चूँकि पंडितों की वापसी के लिए हुनूज़ हालात साज़गार नहीं हैं जिस के पेशे नज़र हिंदू तंज़ीमें फ़िर्कावाराना ख़ुतूत पर कश्मीर को तक़सीम करने के लिए मुहिम चला रही हैं और इस मक़सद के लिए चीफ़ मिनिस्टर मुफ़्ती मुहम्मद सईद पर ज़बरदस्त दबाओ डाला जा रहा है।