कश्मीर में आम लोगों के मारे जाने के वजह सुरक्षा बलों के बीच तालमेल और आपसी संवाद का अभाव

श्रीनगर : पुलवामा जिले में गोलीबारी में सात आम लोगों की मौत के लिए अधिकारियों ने सोमवार को सुरक्षा बलों की विभिन्न इकाइयों के बीच तालमेल और आपसी संवाद के अभाव को कारण बताया है। बता दें कि दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले में मुठभेड़ स्थल की ओर बढ़ रही भीड़ पर सुरक्षाबलों की गोलीबारी में सात आम नागरिकों की मौत हो गई थी और कई अन्य जख्मी हो गए थे. इस मुठभेड़ में तीन आतंकवादी मारे गए जबकि सेना का एक कर्मी भी शहीद हुआ है.

अधिकारियों का कहना है कि आपसी तालमेल का अभाव इस कदर था कि आम लोग मुठभेड़ में शामिल सेना के वाहनों तक करीब-करीब पहुंच गए। अंदेशा था कि भीड़ सैन्यकर्मियों को नुकसान पहुंचा सकती थी या उनके हथियार लूट सकती थी। उन्होंने कहा कि इस कारण सुरक्षा बलों को भीड़ पर गोली चलानी पड़ी थी।

राज्यपाल सलाहकार के. विजय कुमार ने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को संबोधित करते हुए सुरक्षा एजेंसियों के बीच प्रभावी समन्वय और तालमेल सुनिश्चित करने पर जोर दिया। साथ ही, घाटी में आतंकवाद रोधी अभियानों और सुरक्षा संबंधी अभ्यासों के दौरान आम लोगों को जान-माल के नुकसान से बचाने के लिए संयम बतरने पर भी जोर दिया। इंटरनल जांच के मुताबिक, सुरक्षा बल की टीम ने सिमरू गांव के नजदीक छिपने की एक जगह पर छापा मारा था, जो सेना से भागकर आतंकवादी बने जहूर ठोकर का मूल निवास स्थान है। वह जून में राइफलमैन औरंगजेब और अक्टूबर में उपनिरीक्षक इम्तियाज अहमद मीर समेत सुरक्षा कर्मियों की हत्या के कई मामलों में वॉन्टेत था। सुरक्षा बलों की टीम ने छिपने के दो स्थानों पर छापेमारी की लेकिन उन्हें कुछ नहीं मिला, मगर एक बगीचे के पास कुछ घरों में छुपे हुए आतंकवादियों से संपर्क स्थापित हो गया।

वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी ने बताया, ‘यह तीसरा स्थान था, जिसपर क्रैक टीम ने छापा मारा था और यहां छिपे हुए आतंकवादियों ने उनपर गोलीबारी की।’ इसके बाद मुठभेड़ शुरू हो गई और इसमें ठोकर को उसके दो साथियों के साथ मार गिराया गया। वह पिछले साल जुलाई में गंतमुल्ला में स्थित अपने शिविर से एके 47 राइफल के साथ लापता हो गया था। अधिकारियों ने कहा कि सुरक्षा बलों की इस टीम (क्रैक टीम) ने समय के अभाव की वजह से मुठभेड़ स्थल पर उचित बंदोबस्त नहीं किए।

उन्होंने कहा कि लोग मुठभेड़ स्थल पर पहुंचना शुरू हो गए और उन्होंने पथराव शुरू कर दिया क्योंकि संवाद की कमी की वजह से पुलिस और सीआरपीएफ द्वारा बाहरी घेराबंदी नहीं की गई थी। जब तक स्थानीय पुलिस और सीआरपीएफ मौके पर पहुंची तब तक क्षति हो चुकी थी और लोग घायलों को लेकर इधर-उधर अस्पतालों की ओर भाग रहे थे।