कश्मीर में खुला संवाद होने का सही समय है – यशवंतसिन्हा

कश्मीर में विरोध प्रदर्शन के कम होने और सर्दी का स्वागत करने को देखते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवन्त सिन्हा ने इस समय को सही समय बताते हुए केंद्रीय और राज्य सरकारों के साथ सभी दावेदार हुर्रियत को खुला संवाद करने का मशवरा दिया।

सिन्हा और कुछ प्रसिद्ध नागरिक पिछले कुछ महीने में दो बार कश्मीर का दौरा कर चुके हैं।
द हिन्दू से बात करते हुए सिन्हा ने कहा की जहा स्तिथि बेहतर होती नज़र आ रही है वही निचली सतह में स्तिथि अभी भी अशांत बनी हुई हैं।

जो समूह कश्मीर के दौरे पर गया उसको ना ही कोई विशेष सुरक्षा प्रदान की गयी और ना ही कोई विशेष इंतेज़ाम किये गए जिसकी वजह यह थी ये लोग ना किसी सरकार की ओर से गए ना ही किसी पार्टी की ओर से गए थे। सिन्हा ने बताया की ये समूह सीडीआर की तरफ से भी नहीं गया था बल्कि कुछ चिंतक नागरिक के तौर पर वहा गया था।

सिन्हा ने बताया की हम दो बार कश्मीर गए जिसमे से पहली बार हम लोग श्रीनगर में रुके और दूसरी बार बरमुल्लाह, अनंतगढ़ और शोपियन में रुके।

हालाँकि कश्मीर का रोज़ मर्रा का जीवन कुछ सामान्य लग रहा है लेकिन निचले स्तर पर अभी भी चीज़े शांत नहीं है एक चिंगारी भी यहां के जूनून को भड़का सकती है जैसा की जुलाई में बुरहान की हत्या के दौरान हुआ था।

सिन्हा ने आगे कहा की हमे संवाद प्रक्रिया का आरंभ करना चाहिए क्यूंकि यह सही समय है। अभी सर्दियां है और चीज़े सामान्य होती नज़र आ रही है स्कूल खुल रहे हैं इत्यादि।

संवाद में प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से अल्पसंख्यकों को भी हिस्सेदार बनाना होगा। कश्मीरी पंडित, शिया और सिख समुदाय इत्यादि को भी संवाद में शामिल करना ज़रूरी है। जितने ज़्यादा समूहों से बातचीत की जायेगी उतना ही हल की सम्भावनाये बढ़ जाएँगी।

कश्मीर घाटी में धोखे और देश के दूसरे राज्यो के मुकाबले यहाँ भेदभाव की भावनाएं मज़बूत हैै इसका बेहतरीन उदाहरण है घाटी में पैलेट गन का प्रयोग होना जो की पुरे देश के किसी राज्य में प्रयोग नहीं की जाती है।
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