कश्मीर में बगै़र निशान की क़ब्रों का इन्किशाफ़

नई दिल्ली।23 । अक्टूबर : ( पी टी आई ) : दिल्ली हाईकोर्ट के साब चीफ़ जस्टिस राजेंद्र सिंह सच्चर ने कश्मीर में निशान के बगै़र क़ब्रों की दरयाफ़त को इंतिहाई उल-मनाक-ओ-ख़ौफ़नाक क़रार दिया है और हुकूमत से कहा है कि इस के पसेपर्दा हक़ायक़ को बेनकाब करने के लिए मूसिर मेकानिज़म इस्तिमाल किया जाय । जस्टिस सच्चर ने क़ौमी दार-उल-हकूमत में एक शहरी हुक़ूक़ ग्रुप के ज़ेर-ए-एहतिमाम मुनाक़िदा अवामी मुबाहिसा से ख़िताब कररहे थे । बगै़र निशान की क़ब्रों का पता चलने के बाद कश्मीर में ये एक बड़ा सयासी मसला बन गया है और अप्पोज़ीशन जमातें इस वाक़िया की बाज़ाबता तहक़ीक़ात का मुतालिबा कररही हैं । जस्टिस सच्चर ने कहा कि ये एक ख़ौफ़नाक वाक़िया है जिस के ज़िम्मेदारों के ख़िलाफ़ मुक़द्दमा चलाया जाना चाहीए । ये इन्किशाफ़ दरअसल सरकारी निज़ाम की मुकम्मल नाकामी के मुतरादिफ़ है । क्यों कि कश्मीर में कई इजतिमाई क़ुबूर दरयाफ़त हुई हैं जिस के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई है । इस वाक़िया के पसेपर्दा अस्बाब मुहर्रिकात-ओ-हक़ायक़ का पता चलाने के लिए एक मज़बूत मेकानिज़म तशकील देने की ज़रूरत है । कश्मीर में इंसानी हुक़ूक़ के बैन-उल-अक़वामी ट्रब्यूनल के तर्जुमान ख़ुर्रम परवेज़ ने लापता होने और इजतिमाई क़ुबूर की दरयाफ़त के पर इसरार राज़ के ज़ेर-ए-उनवान मुबाहिसा से ख़िताब करते हुए दावा किया कि रियासत भर में कई क़ब्रें हैं जिन के निशान नहीं हैं । परवेज़ ने कहा कि गुज़शता दो दहाईयों के दौरान आठ हज़ार अफ़राद लापता हुए हैं । रियास्ती इंसानी हुक़ूक़ कमीशन के पास इस बात के वाज़िह सबूत हैं कि ये तमाम क़ब्रें मुक़ामी अफ़राद की हैं । क़ब्लअज़ीं समाजी कारकुन गौतम नौलखा ने पी टी आई से कहा कि कोनापोशपोरा इजतिमाई इस्मत रेज़ि के मुक़द्दमा को दुबारा खोलने के लिए रियास्ती हुकूमत से जम्मू-ओ-कश्मीर इंसानी हुक़ूक़ कमीशन की तरफ़ से की गई अपील एक काबिल ख़ैर मुक़द्दम क़दम है।.