नई दिल्ली: कश्मीर में अलगाववादियों द्वारा स्कूल जलाने की घटनाओं की एकतरफा निंदा की जा रही है. इस बारे में नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने गुरुवार को कहा कि कश्मीर में स्कूलों को जलाया जाना बिल्कुल अस्वीकार्य है और दावा किया कि कट्टरपंथी ऐसा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि उन्हें डर है कि शिक्षा से बच्चों के ज़हन खुल जायेंगे और वे उन्हें अपने निहित स्वार्थ के लिए इस्तेमाल नहीं कर पायेंगे.
उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में ऐसा हो रहा है और बच्चों की हत्या तक कर जाती है क्यूंकि हिंसा करने वाले तत्व डरते हैं कि अगर बच्चे पढ़ गए तो उनके लिए हिंसा करना मुश्किल होगा.
उन्होंने कहा, ‘‘शिक्षा पर हमला किया जाता है, स्कूल जलाये जाते हैं, शिक्षकों का अपहरण किया जाता है, बच्चों की हत्या कर दी जाती है, यह पूरे विश्व में हो रहा है। दरअसल कट्टरपंथी इस बात से डरे हुए हैं कि शिक्षा बच्चों के दिमाग का द्वार खोल देगी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘वे एक ऐसी स्थिति पैदा करना चाहते हैं जहां बच्चे शिक्षा नहीं पा सकें। चूंकि यदि वे स्कूल जायेंगे, वे प्रौद्योगिकी, नागरिकता, आपसी संबंध, परस्पर सम्मान, इतिहास, संस्कृति और मूल्यों के बारे में सीखेंगे और वे उनके दिमाग में जहर नहीं घोल पायेंगे तथा अपने निहित स्वाथरें के लिए इस्तेमाल नहीं कर पायेंगे। ’’ वह यहां ‘नोबेल लौरेट्स एंड लीडर्स फोर चिल्ड्रेन’ नामक एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।