जम्मू, 7 जनवरी:जम्मू-ओ-कश्मीर में मुतनाज़ा ए एफ़ एस पी ए की जुज़वी बर्ख़ास्तगी के लिए ज़ोर देते हुए चीफ़ मिनिस्टर उमर अबदुल्लाह ने आज तमाम मुताल्लिक़ा हामिलियन मुफ़ाद से सख़्त मौक़िफ़ तर्क करदेने की अपील की ताकि कोई फ़ैसला हक़ीक़ी सूरत-ए-हाल की असास पर और रियासत के अवाम के फ़ायदे के लिए किया जा सके।
ये ताज्जुबख़ेज़ है कि जब कभी हम ने ए एफ़ एस पी ए की बर्ख़ास्तगी के ताल्लुक़ से बात की है, बाज़ मुफ़ादात हा सिला ग़ैरमामूली सरगर्मी में आगए और ऐसा ज़ाहिर करने लगे जैसे हम चाहते हैं कि ये सारी रियासत से बर्ख़ास्त कर दिया जाये जबकि हम उस की सिर्फ़ बाज़ हिस्सों से बर्ख़ास्तगी चाहते हैं, उम्र ने यहां अख़बारी नुमाइंदों को ये बात बताई।
कल उन्होंने नैशनल कान्फ़्रैंस। कांग्रेस मख़लूत हुकूमत के सरबराह की हैसियत से चार साल मुकम्मल करलिए। अब जबकि रियासत में असैंबली इंतिख़ाबात के लिए दो साल बाक़ी हैं, 42 साला उमर ने कहा कि वो दुबारा मर्कज़ से रुजू हो कर क़ानून ख़ुसूसी इख़्तयारात बराए मुसल्लह अफ़्वाज (ए एफ़ एस पी ए) से जुज़वी दसतबरदारी के लिए ज़ोर देंगे।
उन्होंने कहा, हमारी तरफ़ से कभी कोई सयासी मसला या कोई जज़बाती बेहस का मामला नहीं रहा। हमारा मौक़िफ़ हमेशा माक़ूल मंतिक़ और हक़ीक़ी सूरत-ए-हाल के हक़ीक़त पसंदाना जायज़ा पर मबनी रहा है। मुफ़ादात हा सिले के ऐसे दावे को चैलेंज करते हुए कि ए एफ़ एस पी ए की जुज़वी बर्ख़ास्तगी से अस्करीयत पसंदी में इज़ाफ़ा देखने में आएगा, चीफ़ मिनिस्टर ने इस्तिफ़सार क्या वो
किसे बेवक़ूफ़ बनाने की कोशिश कर रहे हैं? ये आर्मी और दीगर स्कियोरटी एजैंसीयों की तौहीन है जो सरहद की हिफ़ाज़त कर रहे हैं।
वो जो इस तरह के ख़्याल का प्रोपगेंडा कर रहे हैं इन का बिलवासता मतलब है कि आर्मी कुछ नहीं कर रही है। ये क़तई तौर पर आर्मी, सी आर पी एफ़ और स्टेट पुलिस की हौसलाशिकनी के लिए शुरू करदा ग़लतफ़हमी फैलाने की मुहिम है। अव्वल और मुक़द्दम , मैंने कभी भी उसे लाईन ओंफ़ कंट्रोल के क़रीबी इलाक़ों या आस पास से बर्ख़ास्त करदेने की वकालत नहीं की।
मैंने कहा है कि उसे शहरों श्रीनगर और जम्मू जैसे इलाक़ों से बर्ख़ास्त किया जा सकता है, उमर ने ये बात ऐसे अंदेशों के ताल्लुक़ से एक सवाल के जवाब में कही कि वो इलाक़े जहां से ए एफ़ एस पी ए को बर्ख़ास्त कर दिया जाये, दहश्तगरदों के लिए महफ़ूज़ पनाहगाह बन जाऐंगे।
मसला ए एफ़ एस पी ए पर ताहाल उनकी कोशिशों पर रद्द-ए-अमल के ताल्लुक़ से पूछने पर चीफ़ मिनिस्टर ने कहा, हमें कामयाबी तो नहीं मिली लेकिन इस का मतलब ये नहीं कि हमें कोशिश नहीं करना चाहीए। हम कोशिश कर रहे हैं और मुझे यक़ीन है कि कुछ मुसबत बरामद होगा।
पिछले चार साल में अपनी कामयाबीयों और कमज़ोरी के बारे में सवाल पर उमर ने कहा , बहुत कुछ सीखने का मौक़ा मिला है और सीखने का अमल चलता रहता है। में वो शख़्स नहीं जो अपने कारनामों के साथ लोगों में जाएगा बल्कि दो साल बाद मेरी कारकर्दगी पर फ़ैसला सुनाना अवाम पर मुनहसिर है।
चीफ़ मिनिस्टर ने अलहिदगी पसंद क़ाइदीन पर तन्क़ीद की कि वो पाकिस्तान का सफ़र करने तो आमादा हैं लेकिन नई दिल्ली में मुज़ाकरात नहीं करना चाहते।