नई दिल्ली : कश्मीर को लेकर अपने ही नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सैफुद्दीन सोज की विवादास्पद टिप्पणी के बाद कांग्रेस बैकफुट पर है। सोज ने कश्मीर को लेकर यह विवादास्पद टिप्पणी जिस किताब में की है, पहले इसमें कांग्रेस के कई दिग्गज नेता शिरकत करने वाले थे, लेकिन मामले के तूल पकड़ने के बाद अब कांग्रेस इससे अपने आप को अलग रख लिया है। सोज़ ने दावा करते हुए एक विवाद को उकसाया कि “अगर मौका दिया जाता है, तो कश्मीरी स्वतंत्र होना पसंद करेंगे”, पूर्व केंद्रीय मंत्री सैफुद्दीन सोज की कश्मीर पर किताब और उनके बयानों को लेकर कांग्रेस पर निशाना साध रही भाजपा को किताब के विमोचन पर उसके ही पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी ने आड़े हाथों लिया। शौरी ने सर्जिकल स्ट्राइक पर तंज कसते हुए उसे फर्जिकल स्ट्राइक ठहराया और सरकार पर चुनाव जीतने के लिए हिंदू-मुस्लिम में बांटने वाला बताया।
सोज के बयानों से किनारा करने के साथ कांग्रेस के बड़े नेताओं डा. मनमोहन सिंह, पी.चिदंबरम और गुलामनबी आजाद ने कार्यक्रम में जाने से इंकार कर दिया कांग्रेस के एक मात्र नेता तौर पर पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश वहां पहुंचे और फिर मीडिया के कैमरे से बचते दिखे।
शौरी ने कहा कि सरकार के पास कश्मीर,पाकिस्तान, चीन और थोड़ा रूककर बोले बैंकों के लिए कोई नीति नहीं है। उन्होंने चुटकी ली कि खान साहब ने कहा देसी घी का खाना बना है तो हम पहुंच गए। शौरी ने कांग्रेस नेताओं के कार्यक्रम में न पहुंचने पर तंज कसा कि अमित शाह के कहने पर आप डर गए। उन्होंने कहा कि सरकार पर आरोप लगाया कि सबका साथ सबका विकास नहीं कर पाई इसलिए हिंदू-मुसलमान में बांटा जा रहा है। सरकार इवेंट ओरियेंटेड और चुनाव ओरियेंटेड है। एक चुनाव इसलिए जीता जाता है ताकि दूसरा चुनाव जीता जा सके।
शौरी ने कश्मीर समस्या के समाधान पर सोज से भी अपील किया कि पुरानी बातों और पीछे किसने क्या किया क्या कहा इसे भुलाकर आगे बढना चाहिए। कश्मीर की स्वायत्ता की बात कुछ लिहाजा सही कुछ में गलत है।
उन्होंने कश्मीर और नार्थ-ईस्ट की समस्या को लगभग एक जैसा बताते हुए कि सरकार सीधे संपर्क न करके सब कांट्रेक्ट करती है जो उचित नहीं है क्योंकि सरकार जो रकम भेजती है कहीं ने पहले दिल्ली के अधिकारी और फिर कश्मीर के अधिकारी राजनेता हिस्सा बांट लेते हैं इस लिहाज से स्वायत्तता ठीक नहीं है। जबकि सोज के मुताबिक अगर सीमा पर पांच किलोमीटर पर बसे लोगों को सुरक्षित बसाने उन्हें उतनी जमीन कहीं और देने की स्वात्तता अच्छा सुझाव है।
किताब के विमोचन पर कश्मीर के लोगों की प्राथमिकता आजादी है और सरदार पटेल कश्मीर को पाकिस्तान को देना चाहते थे जैसे विवादित बयानों पर सैफुद्दीन सोज किनारा करते दिखे। उन्होंने ठीकरा मीडिया पर फोड़ दिया। उन्होंने कहा कश्मीर कभी पाकिस्तान का हिस्सा नहीं हो सकता है और आजादी भी संभव नहीं है। परवेज मुशर्रफ के समर्थन पर साफ किया मैं उनका प्रतिनिधि नहीं हूं। उन्होंने कहा कि सरकार को विपक्ष आदि को कश्मीर के लोगों के बीच जाना चाहिए और संविधान के तहत बातचीत हो। इस दौरान वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैय्यर ने भी अपने विचार रखे।
सोज की इस टिप्पणी के बाद बीजेपी जहां हमलावर तेवर अपनाए हुए है, वहीं कांग्रेस बचाव की मुद्रा में है। पार्टी पहले ही इसे किताब के प्रचार के लिए ‘घटिया हथकंडा’ करार दे चुकी है। पार्टी ने इस बारे में प्रदेश इकाई से उनके खिलाफ कार्रवाई की बात भी कही है। यहां उल्लेखनीय है कि सोज की गिनती कश्मीर में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में होती है।