सहारनपुर: पुलिस द्वारा हिरासत में लिए गए दलित युवक की पिटाई से मौत का आरोप लगते हुए गुस्साए लोगों ने पुलिस के खिलाफ हंगामा करते हुए हाईवे जाम कर दिया तथा थाने के गेट पर लगे फ्लेक्स बोर्ड फाड़ डाले. चोरी के आरोप में पकडे गए दलित युवक का शव एक जंगल में पड़ा पाया गया, जबकि परिजनों का कहना है कि शुक्रवार को रात बारह बजे थाने में पुलिस हिरासत में बैठे युवक से मिलकर आए थे. लेकिन शनिवार को युवक के शव के जंगल में पाया गया. युवक का शव मिलने से परिजनों और ग्रामीणों में आक्रोश फैल गया और उन्होंने थाने पर धावा बोल दिया. हंगामे के चलते दहशत में पूरा बाजार बंद हो गया. कई थानों की पुलिस मौके पर तैनात कर दी गई है. आला अधिकारी भी मौके पर पहुंच गए. देर रात इंस्पेक्टर संजय पांडे समेत चार पुलिस कर्मियों को सस्पैंड कर दिया गया है.
वन इंडिया के अनुसार, सरसावा कस्बे के मोहल्ला हरिजनान निवासी 20 वर्षीय दलित युवक परविंदर पुत्र चोहड सिंह को शुक्रवार देर रात करीब ग्यारह बजे थाना सरसावा पुलिस चोरी के आरोप में अपने साथ लेकर थाने पहुंची थी.
रात करीब बारह बजे युवक की मां विद्या देवी थाने में मिलने के लिए पहुंची थी. आरोप है कि विद्या देवी ने परविंदर को छोड़ने के लिए पुलिस से गुजारिश की थी, लेकिन पुलिस ने इस बाबत रुपयों की मांग की थी. इसके बाद विद्या देवी परविंदर के लिए थाने में खाना लेकर भी गई थी, लेकिन पुलिस ने खाना नहीं देने दिया.
शनिवार शाम उनके पास थाने में से फोन आया की उनके पुत्र ने फांसी लगाकर जान दे दी है. जब वे थाने पहुंचे तो पुलिस ने बताया कि उनके पुत्र का शव अंबाला रोड पर ग्राम सोराना के पास एक पेड़ पर फांसी के फंदे से लटका मिला था, लेकिन पुलिस ने अज्ञात जानकर उसका पोस्टमार्टम करा दिया है. आरोप लगाया कि धर्मेंद्र की पुलिस ने हिरासत में लेकर बेरहमी से पिटाई की है. जिससे धर्मेंद्र की मौत हो गई. पुलिस ने अपनी जान बचाने के लिए नई कहानी बना ली और उसकी मौत को आत्महत्या बता दिया.
धर्मेंद्र की मौत से आक्रोशित लोगों ने दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने एवं मृतक के परिजनों को 10 लाख रुपये का मुआवजा दिए जाने की मांग की गई है.