क़तर के विदेश मंत्री का कहना है कि नेटो जैसे क्षेत्रीय गठबंधन की विश्वसनीयता ख़तरे में पड़ जाएगी अगर दोहा के साथ उसके अरब पड़ोसी देशों के मतभेद हल न हुए। इस प्रस्तावित फ़ोर्स में, फ़ार्स खाड़ी के तटवर्ती देश, मिस्र, जॉर्डन और अमरीका शामिल होगा।
क़तरी विदेश मंत्री शैख़ मोहम्मद बिन अब्दुर्रहमान अस्सानी ने न्यूयॉर्क में कहाः “मुझे नहीं लगता यह गठबंधन फ़ार्स खाड़ी के तटवर्ती देशों के बीच विवाद को नज़रअंदाज़ करके, वजूद में आ सकता है और अगर आ भी जाए तो प्रभावी नहीं होगा, क्योंकि इन देशों के बीच गंभीर चुनौती है जिसे हल करने की ज़रूरत है अगर इस गठबंधन की विश्वसनीयता को साबित करना चाहते हैं। मेरा मानना है कि इस बात का अवसर है।”
क़तरी विदेश मंत्री ने इस बात का भी उल्लेख किया कि सऊदी अरब और उसके घटकों के साथ विवाद के हल होने में कोई प्रगति नहीं हुयी है। शैख़ मोहम्मद बिन अब्दुर्रहमान अस्सानी ने इसके साथ ही बल दिया कि दोहा रियाज़ शासन और उसके घटकों के साथ बातचीत के लिए तय्यार है।
सऊदी अरब, यूएई, बहरैन और मिस्र ने पिछले साल 5 जून को क़तर पर आतंकवाद को बढ़ावा देने का इल्ज़ाम लगाकर उसके साथ अपने संबंध ख़त्म कर लिए।
उसके बाद इन देशों का अनुसरण करते हुए लीबिया, मालदीव, जिबूती, सेनेगल, कोमोरोस और यमन के इस्तीफ़ा दे चुके राष्ट्रपति मंसूर हादी के प्रशासन ने भी दोहा के साथ कूटनैतिक संबंध का स्तर कम कर लिया।
क़तर के विदेश मंत्री ने इन देशों के दोहा के साथ कूटनैतिक संबंध को ख़त्म करने के फ़ैसले झूठे दावों पर आधारित व अन्यायपूर्ण कहा था।