हुकूमत स्पीकर लोक सभा पर दबाव डालने में मसरूफ़ : कांग्रेस तर्जुमान आनंद शर्मा का बयान राय पर लाज़िमी अमल ज़रूरी नहीं : मनीष तिवारी
कांग्रेस ने आज अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी पर तन्क़ीद का निशाना बनाते हुए कहा कि क़ाइद अपोज़िशन मसले पर उनकी राय दर असल अपने सियासी आक़ाओ को ख़ुश करने की कोशिश थी। मुकुल रोहतगी ने क़ाइद अपोज़िशन मसले पर कल अपनी राय देते हुए कहा था कि कांग्रेस पार्टी ये ओहदा हासिल करने की अहलियत नहीं रखती। कांग्रेस के तर्जुमान आनंद शर्मा ने कहा कि अटार्नी जनरल की राय इस काग़ज़ से ज़्यादा अहम नहीं है जिस पर ये तहरीर की गई है।
ये अफ़सोस की बात है कि अटार्नी जनरल ने अपने सियासी आक़ाओं को ख़ुश करने का बयान दिया है। अटार्नी जनरल एक टकराव का रवैय्या रखने वाली हुकूमत के जांबदाराना रवैय्ये के लिए माज़रत की राय पेश कर रहे हैं। उन्होंने अख़बारी नुमाइंदों से बात चीत करते हुए कहा कि वो नहीं जानते कि किस क़ानून के तहत अटार्नी जनरल ने क़ाइद अपोज़िशन मसले पर अपनी राय दी है।
ये उम्मीद थी कि अटार्नी जनरल क़ानून को बेहतर अंदाज़ में समझेंगे और क़ानूनी उमूर के मुताबिक़ एसी राय नहीं देंगे जो उन के ओहदे के मुग़ाइर हो। क़ाइद अपोज़िशन के मसले पर कांग्रेस की कोशिशों को झटका देते हुए अटार्नी जनरल ने कल इस ख़्याल का इज़हार किया था कि कांग्रेस पार्टी इस ओहदे पर इद्दिआ का हक़ नहीं रखती।
उन्होंने कहा था कि पहली लोक सभा की तशकील के बाद से अब तक कांग्रेस के इद्दिआ की ताईद में कोई मिसाल भी नहीं मिलती। रोहतगी ने अपनी राय से स्पीकर लोक सभा सुमित्रा महाजन को वाक़िफ़ करवा दिया था। सुमित्रा महाजन ने उनसे इस मसले पर राय तल्ब की थी । ये वाज़िह करते हुए कि अगर क़ाइद अपोज़िशन का तक़र्रुर अमल में नहीं किया जाता है तो जिन तक़र्रुत में उसकी ज़रूरत है वो बहुत पेचीदा होजाएंगे।
अहम तरीन तक़र्रुत में अपोज़िशन का रोल भी ज़रूरी होता है। मिस्टर आनंद शर्मा ने कहा कि उनकी पार्टी को अगर ये ओहदा नहीं दिया जाता है तो वो अदालतों का दरवाज़ा खटखटाने से भी गुरेज़ नहीं करेगी। मिस्टर शर्मा ने कहा कि ये सब कुछ हुकूमत के इरादों को ज़ाहिर करता है। हुकूमत दर असल स्पीकर पर दबाव डाल रही है जबकि स्पीकर को गैर जांबदारी से काम करना चाहिए।
आनंद शर्मा ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि स्पीकर इस मसले पर अटार्नी जनरल की राय को मुस्तरद कर देंगी। अटार्नी जनरल की राय का मक़सद सिर्फ़ आमिला को और सियासी आक़ाओं को ख़ुश करना है। मिस्टर शर्मा ने कहा कि ये मसला दर असल स्पीकर और हिन्दुस्तानी पार्लिमानी जम्हूरियत के लिए एक इमतिहान से कम नहीं है।
उन्होंने कहा कि इस मसले पर क़ानून बिलकुल वाज़िह है और उसको किसी मिसाल से देखने की ज़रूरत नहीं है। सीनियर लीडर मनीष तिवारी ने कहा कि कांग्रेस दूसरी बड़ी जमात होने के नाते क़ाइद अपोज़िशन का ओहदा हासिल करने की अहल है अगर आप पार्लिमानी रिवायात और क़वानीन को भी देखें तो कांग्रेस उसकी हक़दार साबित होती है।
उन्होंने कहा कि वो समझते हैं कि अटार्नी जनरल ने जो राय दही है वो बजाय ख़ुद एक राय ही है और जिस किसी ने ये राय तल्ब की थी इस के लिए इस राय को मान लेना यह अमल करना ज़रूरी नहीं होता। मिस्टर तिवारी ने कहा कि ख़ुद अटार्नी जनरल ने जो राय दही है इस में उन्होंने एक एसे रोल का हवाला दिया है जिस को कोई क़ानूनी हैसियत हासिल नहीं है।
उन्होंने कहा कि जो बात ज़हन नशीन रखने की है वो ये है कि 1993 से जब पार्लियामेंट में हुक़ूक़-ए-इंसानी कमीशन के क़ियाम के लिए क़ानून मंज़ूर किया गया क़ाइद अपोज़िशन ने हर अहम और हस्सास तक़र्रुर में अहम तरीन रोल अदा किया है जिस से मुल्क को एक सिम्त हासिल होती है।
इसे में अगर आज कांग्रेस पार्टी को क़ाइद अपोज़िशन के ओहदे से महरूम कर दिया जाता है तो इस का मतलब ये होगा कि अपोज़िशन की आवाज़ दबा दी गई है। ये इक़दाम अमला अक्सरियती और आमिराना-ओ-गैर जम्हूरी होगा क्योंकी जम्हूरियत का लाज़िमी जुज़ ये है कि जहां एक पार्टी बरसर-ए-इक्तेदार हो वहीं एक पार्टी अपोज़िशन की भी हो।
कांग्रेस लीडर अभीशेक मानव सिंघवी ने भी कहा कि उन्हें अटार्नी जनरल की राय पर कोई हैरत नहीं हुई है। उन के ख़्याल में अटार्नी जनरल ने ना सिर्फ़ हुकूमत के मौक़िफ़ का इआदा किया है बल्कि वही कुछ कहा है जो हुकूमत सुनना चाहती थी । हुकूमत और कांग्रेस पार्टी के माबेन क़ाइद अपोज़िशन के मसले पर एक तकरार चल रही है और कांग्रेस पार्टी ये ओहदा हासिल करना चाहती है।