क़िला गोलकुंडा के मक्की दरवाज़ा के दामन में क़दीम मस्जिद वीरानी का शिकार

शहर हैदराबाद जो अपने इबतिदाई ज़माने में दीन और इस्लाम के इलावा उलूम का गहवारा कहलाया जाता था आज इसी शहर में अल्लाह के बेशुमार घर ये कहते हुए कि “मसाजिद मर्सिया ख़्वाँ हैं कि नमाज़ी ना रहे” वीरान और गैर अबाद होते चले जा रहे हैं।

क़िला गोलकुंडा जोकि हैदराबाद की शानदार तारीख़ का एक मर्कज़ है और इस के दामन में चारों सिम्त बेशुमार अल्लाह के घर मौजूद हैं जो कभी दक्कन का सफ़र करने वाले बैरूनी अफ़राद और मुक़ामी नमाज़ियों से आबाद थीं लेकिन यहां के बदलते सियासी और समाजी हालात ने शहर के क़ल्ब में मौजूद कई तारीख़ी मसाजिद को वीरान कर दिया है।

क़िला गोलकुंडा के दामन में एक शानदार तारीख़ी और तक़रीबन 500 मुसल्लियों की गुंजाइश वाली गैर अबाद मस्जिद है जो गुज़िश्ता कई बरसों से गैर अबाद है। क़िला गोलकुंडा के मक्की दरवाज़ा से कुछ फ़ासिला पर मिलिट्री इलाक़ा में लबे सड़क ये मस्जिद झाड़ीयों और दरख़्तों में छिप चुकी है।

आप को याद दिला दें कि रोज़नामा सियासत ने अपनी कोशिशों के ज़रीए 100 से ज़ाइद गैर अबाद मसाजिद को मंज़रे आम पर लाया है और अल्हम्दुलिल्लाह कई मसाजिद में फिर से अल्लाह रब्बुल इज्ज़त की इबादात का सिलसिला शुरू भी हो चुका है।

यहां मौजूद फ़ौज के आला ओहदेदारों से अगर इस मस्जिद को आबाद करने में बेहतर तआवुन ना मिले तो फिर मुसलमानों के पास अदालत का दरवाज़ा खटखटाने का आख़िरी रास्ता रह जाता है। abuaimalazad@gmail.com