करीमनगर, 02 अप्रेल: ज़िला मुस्तक़र करीमनगर से तकरीबन 13 कीलोमीटर के फ़ासले पर मौज़ा यलगनदल है जो 1905 तक ज़िले का मुस्तक़र मुक़ाम कहलाता था। ये एक तारीख़ी मुक़ाम है। यहां करीबी पहाड़ पर एक मज़बूत क़िला है जिस पर एक मस्जिद है। इस पहाड़ पर तामीर करदा क़िले की फ़सीलों पर तोपें भी नसब थीं। लेकिन आहिस्ता आहिस्ता इन भारी भरकम तोपों को मुख़्तलिफ़ औक़ात में वहां से मुख़्तलिफ़ मुक़ामात पर मुंतक़िल करदिया गया।
ये क़िला महिकमा आसार क़दीमा के तहत है,लेकिन इस के बावजूद उस की निगरानी नहीं होने की वजह उस की हालत ख़स्ता हो चुकी है। इस क़िले पर से इस के करीब बहरही मानीर नदी का नज़ारा काफ़ी दिलकश होता है। बताया जाता है कि इस क़िले के अंदर से सुरंगें भी थीं। एक सुरंग के ज़रिये मानेर नदी के बाहर निकला जा सकता था। दूसरी सुरंग काफ़ी दूर बनाई गई थी। जिस का अब नाम-ओ-निशान भी नहीं है। इस क़िला में आहिस्ता आहिस्ता एक मंदिर की भी तामीर करली गई और जय लक्ष्मी नरसिम्हा स्वामी हनूमान देवा लिम का नाम दे दिया गया जो लम्हा फ़िक्र है।
वाज़िह रहे कि चंद साल पहले इस क़िले की तज़ईन नौ की कोशिश भी की गई थी और कामों का आग़ाज़ भी हुआ था। लेकिन फंड्स की कमी के सबब काम को रोक दिया गया। अब फिर मर्कज़ी महिकमा सयाहत की जानिब से इस क़िले की तरक़्क़ी और तज़ईन नौ के लिए 5 करोड़ रुपये फंड्स की मंज़ूरी दी गई है। इस फंड्स से इस क़िले की मरम्मत का काम शुरू किया जाएगा और सय्याहों की सहूलत के लिए तमाम इंतिज़ामात के बिशमोल कमरे भी तामीर किए जाएंगे बताया जाता है कि तमाम कामों को अंदरून दो तीन माह शुरू करदिया जाएगा। इस के इलावा इस क़िले तक आमद-ओ-रफ़त की सहूलत के लिए बसों का भी इंतिज़ाम किया जाएगा।
तीन दिन पहले ही रुकन पार्लियामेंट पूनम प्रभाकर ने भी इस क़िले का दौरा करते हुए जायज़ा लिया था और इस बात की इत्तेला दी थी कि ज़िले में इस क़िले के इलावा कुंड एक्टिव, वीमलवाड़ा और दीगर मुक़ामात को सयाहती मुक़ामात का दर्जा दिए जाने के इक़दामात किए जा रहे हैं।