क़ुरब क़ियामत

हज़रत शोबा(RH) हज़रत क़तादा(RH) से और वो हज़रत अनस रज़ी अल्लाहु तआला अनहु से रिवायत करते हैं कि रसूल (सल्लललाहु अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया में और क़ियामत, इन दो उंगलीयों (यानी शहादत की उंगली और बीच की उंगली) की मानिंद भेजे गए हैं। (मुत्तफ़िक़ अलैह)

हज़रत शोबा (RH)कहते हैंके मैंने हज़रत क़तादा(RH) से सुना, उन्होंने (आँहज़रत (सल्लललाहु अलैहि वसल्लम) की बअसत को क़ियाम क़ियामत के साथ दो उंगलीयों से तशबीया देने की मुराद बयान करते हुए) अपने वाज़ में कहा कि जिस तरह इन दोनों में से एक उंगली दूसरी उंगली से बढ़ी हुई है, यानी मज़कूरा मुशाबहत से हुज़ूर (सल्लललाहु अलैहि वसल्लम) की मुराद ये थी कि जिस तरह बीच की ऊंगली-ए-शहादत की उंगली से कुछ बढ़ी हुई है, इसी तरह मेरी बअसत का ज़माना क़ियामत के वक़्त से कुछ ही आगे है कि में क़ियामत से पहले आया हूँ और क़ियामत मेरे पीछे पीछे चली आरही है।

हज़रत शोबा कहते हैंके मुझे नहीं मालूम कि ये मुराद हज़रत क़तादा ने ख़ुद बयान की या उन्होंने उसको हज़रत अनस रज़ी अल्लाहु तआला अनहु से सुना था और अगर ये मुतय्यन भी हो जाये कि हज़रत क़तादा ने ये मुराद अज़ ख़ुद बयान नहीं की थी, बल्कि उस को हज़रत अनस रज़ी अल्लाहु तआला अनहु था, तो फिर ये एहतिमाल रहेगा कि ये मुराद अज़ ख़ुद हज़रत अनस रज़ी अल्लाहु तआला अनहु ने बयान की थी या (सल्लललाहु अलैहि वसल्लम) ही ने अपनी ये मुराद बयान की थी और उस को हज़रत अनस रज़ी अल्लाहु तआला अनहु ने (सल्लललाहु अलैहि वसल्लम) से नक़ल किया था।