क़ुली क़ुतुब शाह बुरज पुराना पुल पर एक और शरारत का अंदेशा ।

नुमाइंदा ख़ुसूसी- शहर के एक क़ाज़ी ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से शहर में शादियां वक़्त पर होरही हैं । बात ये नहीं है कि लोग वक़्त के पाबंद होगए हैं । बात दरअसल ये है कि शहर के हालात पहले जैसे नहीं रहे । रात में लोग वक़्त से पहले अपने घरों को वापिस होना चाहते हैं हालाँकि ये शादीयों का मौसम है लेकिन शादी ख़ाने रात 11 बजे तक ख़ाली होरहे हैं । कारोबार भी जल्द बंद किए जा रहे हैं ।

होटलों को तो रात 10 बजे ही बंद करवाया जा रहा है । शहर में अफ़्वाहों का बाज़ार गर्म है । ऐसा क्यों होरहा है । ये सब कौन कररहा है और करने वालों का मक़सद किया है ये बात अभी तक साफ़ नहीं हुई । जब कि पुलिस का मूसिर बंद-ओ-बस्त किया गया है । कमिशनर पुलिस ख़ुद बह नफ़स नफ़ीस ला ऐंड आर्डर पर नज़र रखे हुए हैं । जगह जगह तलाशियों के इलावा हस्सास मुक़ामात पर पुलिस पिकिट भी ताय्युनात किए गए हैं इस के बावजूद अश्रार कोई ना कोई शरारत करहि देते हैं । ऐसे पुरआशूब हालात में एक और नई शरारत का पता चला है ।

क़ारईन पुराना पुल से मुत्तसिल एक और पल भी है जिसे क़ुली क़ुतुब शाह बरीज कहा जाता है । बरीज का 28-2-1992 को इफ़्तिताह हुआ था । उस वक़्त के चीफ़ मिनिस्टर जनार्धन रेड्डी के हाथों ये तक़रीब हुई थी । अब यही बरीज एक जानिब से दूसरी जानिब जाने का वाहिद ज़रीया बन गया है क्यों कि क़दीम पुराना पुल तो एक मार्किट बन गया है जिस पर मुक़ामी पहलवानों का क़बज़ा होगया है और बलदिया गूंगी , बहरी और अंधी बनी हुई है । पुराना पुल के दोनों जानिब दुकानें लग चुकी हैं एक पहलवान वहां से पैसे वसूल करता है । इस क़दीम पुराना पुल से लगा हुआ ये क़ुली क़ुतुब शाह बरीज है जो इसी नाम से मशहूर भी है । कुछ दिन से यहां सफ़ैद और गेरवा या भगवा रंग के पट्टे डाले गए ।

ठीक इसी तरह से इस बरीज पर भी अमल किया गया है । बरीज पर पट्टे उतारे गए हैं । ये यूंही नहीं होरहा है बल्कि इस के पीछे एक साज़िश का फ़र्मा है । आने वाले दिनों में जहां पट्टों से रंग रेज़ि की गई है कुछ ना कुछ होने वाला है । इस के बाद वहां एक ढांचा तैय्यार किया जाएगा और खुले आम पूजापाट शुरू होजाएगी । अगर इबतदा-ए-ही में रोक नहीं लगाई गई तो शायद बहुत देर होजाएगी । कोर्ट का हुक्म है कि किसी मज़हब का निशान मस्जिद , मंदिर , सरकारी अराज़ी पर तामीर ना किया जाय । ग़रज़ कोई भी मज़हबी इमारत तामीर ना की जाय ।

सुप्रीम कोर्ट का ये फ़ैसला 29 सितंबर 2009 का है । जिस में अदालत ने हुक्मनामा जारी करते हुए तमाम रियास्ती हुकूमतों को हिदायत दी थी कि किसी भी मज़हब की कोई इमारत ( नई इमारत ) तामीर ना की जाय । ये हुक्मनामा सुप्रीम कोर्ट के जिन मुअज़्ज़िज़ जज साहिबान ने जारी किया था । लेकिन ऐसा लग रहा है कि ख़िलाफ़वरज़ी करने वालों के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है । हम ने पिछले दिनों रोज़नामा सियासत के ज़रीया निशानदेही करदी थी । गुलशन हिलज़ कॉलोनी में भी एक मंदिर तामीर किया गया है । क़िला गोलकुंडा में एक तोप की पूजा होरही है । मूसा नदी में एक रुम बनाया गया है जिस में समनट के थैले रखे हैं लेकिन अब उस की भी पूजा होरही है । चादर घाट चौराहे पर भी मंदिर तामीर करदी गई है ।

चीरान प्यालीस में भी मूर्ती रिखदी गई है । अब क़ुली क़ुतुब शाह बरीज के दरमयान जो पट्टे भगवा रंग के डाले गए हैं इन का भी यही मक़सद होसकता है । हम ने आज तक अपनी ख़ुसूसी रिपोर्ट बगै़र तस्वीर के नहीं लिखी क्यों कि तस्वीरें कभी झूट नहीं कहतीं । हम सबूत के साथ ख़बर शाय करते हैं ताकि समझने में आसानी हो । अब देखना ये है कि पुलिस और हुकूमत किया इक़दामात करती है । हम वक़्त से पहले निशानदेही कररहे हैं । वहां एक सीताफल फ़रोख़त करने वाले ने बताया कि धूल पेट के रहने वालों ने ये दो रंगी पट्टे बनाए हैं अब शहरी जान चुके हैं कि हर शर अंगेज़ी के पीछे आख़िर क्यों धूल पेट का नाम आता है आने वाले दिनों में पुलिस को मज़ीद हरकत में रहने की ज़रूरत है ।।