कांगेर्स का हाथ नीतीश का तीर थामने के लिए बेताब

पटना, 12 मार्च: बीजेपी में मोदी का राग बजाने से खफा चल रहे वज़ीर ए आला नीतीश कुमार पर अब कांग्रेस की निगाहें लगी हैं और उन्हें रिझाने की हर मुम्किन कोशिश की जा रही है।

चांसलर्स (Chancellors) की तकररुरी के मामले में हुकूमत से इख़्तेलाफ के बाद गवर्नर देवानंद कुंवर की बिहार राजभवन से रुख़्सती कांग्रेस का इसी मकसद से उठाया गया कदम माना जा रहा है।

दरअसल, बीजेपी में इस वक्त नरेंद्र मोदी का राग बज रहा है। ऐसे में नीतीश कुमार भले ही आमतौर पर कुछ नहीं बोल रहे हैं, लेकिन अंदरून खफा बताए जा रहे हैं। मौके की नजाकत भांप कांग्रेस ने नीतीश को अपने खेमे में शामिल करने का सयासी खेल शुरू कर दिया है।

बिहार में खोई जमीन तलाशने में जुटी कांग्रेस को लालू प्रसाद यादव और रामविलास पासवान से ज्यादा वजन नीतीश में दिख रहा है। सबसे पहले फायनेंस मिनिस्टर ने पिछड़े रियासतो का स्टैंडर्ड बदलने की बात करके नीतीश की मांग का बिलावास्ता ताइद की।

इसके बाद वज़ीर ए आज़म ने पहले ट्वीट करके और फिर पार्लियामेंट के दोनों ऐवानो में बिहार हुकूमत के कामकाज की तारीफ की। अब एक कदम और आगे बढ़कर गवर्नर देवानंद का बिहार से तबादला कर दिया।

गौरतलब है कि हुकुमत और राजभवन के दर्मियान ताल्लुकात खासे तल्खी भरे चल रहे थे। यूनीवर्सिटीज में चांसलर्स की तकर्रुरी के मामले में हुकूमत ने पहले तो हाईकोर्ट की पनाह ली। इसके बाद अपनी नाराजगी जाहिर कर दी।

तीन दिन पहले युनीवर्सिटीज के खर्चों के जायज़ा लेने के लिए एक नया ऑडिट सेल तश्कील कर हुकूमत ने साफ कर दिया कि वह राजभवन से दो-दो हाथ करने के मूड में आ गई है।

ऐसे में गवर्नर का तबादला साफ इशारा कर रहा है कि कांग्रेस का हाथ नीतीश का तीर (जद-यू का चुनाव निशान) थामने को बेताब है।