दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शिक्षा को लेकर किए गए ट्वीट पर कांग्रेस नेता अजय माकन की प्रतिक्रिया ने राजधानी के राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है. केजरीवाल ने लंबे समय बाद पीएम मोदी पर हमला बोलते हुए ट्वीट किया था, ‘लोग मनमोहन सिंह जैसे पढ़े-लिखे प्रधानमंत्री की कमी महसूस कर रहे हैं.’ माकन ने इस पर फौरन प्रतिक्रिया दी और पूछा कि केजरीवाल ने अन्ना हजारे का साथ देते वक्त यह बात क्यों महसूस नहीं.
माकन ने दूसरे ट्वीट में कहा, ‘आप के कांग्रेस को तीन सीट के ऑफर पर केजरीवाल को मेरे जवाब को देखिए. जब दिल्ली की जनता लगातार केजरीवाल सरकार को नकार रही है तो हम उनके बचाव को क्यों आएंगे?’ लेकिन सोशल मीडिया पर शब्दों की इस लड़ाई में आंखों को जो दिख रहा है उससे कहीं ज्यादा बातें छुपी हुई हैं. कांग्रेस और आप के रिश्ते कड़वे लेकिन उलझे हुए रहे हैं. यह आप नेताओं का भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन ही था जिसने केंद्र सरकार से कांग्रेस की छुट्टी की थी लेकिन केजरीवाल को पहली बार सरकार बनाने के लिए कांग्रेस से ही बाहरी समर्थन लेना पड़ा था.
अटकलें हैं कि अकाली दल ने आप को दूर रखने के लिए कांग्रेस की मदद की थी. लेकिन जब बात राष्ट्रीय मंच की हो तो क्षेत्रीय गणित बदल जाता है. राष्ट्रीय स्तर पर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी का सामना करने के लिए विपक्षी दलों का गठबंधन बन रहा है.
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या 2019 में बीजेपी और मोदी का मुकाबला करने के लिए आप व कांग्रेस हाथ मिला सकते हैं? राजनीति को लेकर पुरानी कहावत है कि कुछ भी असंभव नहीं है. किसी ने नहीं सोचा था कि मायावती व मुलायम सिंह यादव के बीच कड़वाहट के बाद सपा और बसपा साथ आकर गठबंधन बनाएंगे. सूत्रों का कहना है कि तृणमूल कांग्रेस जैसे दलों से आप और कांग्रेस पर साथ आने का दबाव है. केजरीवाल के लिए ममता बनर्जी की प्रशंसा जगजाहिर है और फेडरल फ्रंट के लिए वह मुख्य भूमिका निभा सकती है.
कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण कार्यक्रम में राहुल गांधी, सोनिया गांधी और अरविंद केजरीवाल सब एक साथ मंच पर थे लेकिन फोटो लेने के दौरान वे सावधानी बरत रहे थे. इसके बावजूद किसी बात से इनकार नहीं किया जा सकता.
कांग्रेस के कुछ लोगों का कहना है कि माकन की वजह से पार्टी की उम्मीदों को नुकसान पहुंच रहा है और संभव है कि बीजेपी को फायदा हो रहा हो. वे आप विधायकों को अयोग्य करार देने के मामले की ओर इशारा करते हैं. एक नेता ने पूछा, ‘माकन को चुनाव आयोग जाने की क्या जरूरत थी जब वह उस पर विश्वास ही नहीं करती? क्या यह बीजेपी को बचाने के लिए था?’
एक अन्य नेता ने सांकेतिक अनशन की ओर इशारा किया जिसमें माकन की ढाबे पर छोले भटूरे खाते हुए की फोटो सामने आई थी. कांग्रेस की जीत के प्रयास में कोई कमी नहीं रहे इसके लिए राहुल ने शीला दीक्षित की फिर से दिल्ली कांग्रेस में वापस कराई.
एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने कहा, ‘जेडीएस व कांग्रेस और सपा व बसपा को देखिए. हम सब बातों के लिए तैयार हैं, यहां तक कि एक दिन केजरीवाल और राहुल के एक साथ मंच पर आने को लेकर भी तैयार हैं.’