कांग्रेस का यूपी पर कब्ज़े का बड़ा गेम प्लान तैयार !

लखनऊ। कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश पर 1989 की तरह कब्जे का एक बड़ा गेम प्लान तैयार किया है। इसके तहत प्रदेश के 66 जिलों में धुआंधार दौरे और इन कार्यक्रमों में अपने राजपूत व बाह्मण नेताओं को आगे रखने की व्यापक रणनीति बनाई गई है। दौरे का सिलसिला 21 अगस्त से शुरू होगा जो पूरे 49 दिनों यानि 9 अक्टूबर तक चलेगा।
इसके लिए कांग्रेस की तरफ से मुख्यमंत्री चेहरा शीला दीक्षित और प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर के नेतृत्व में दो टीमें बनाई गई हैं। इन टीमों में संजय सिंह, श्री प्रकाश जायसवाल, रीता बहुगण। जोशी, जफ़र अली नकवी, सलमान खुर्शीद, पी एल पुनिया, संतोष सिंह आदि शामिल किए गए हैं। दरअसल, इसके पीछे कांग्रेस के रणनीतिकार प्रशांत किशोर की मंशा है सूबे के अगड़ों में हुकूमत की उम्मीद जगाना। विशेषकर बाह्मण और राजपूतों में। क्यों कि यूपी की भाजपा, बसपा और सपा की सरकारों में इनकी भरी उपेक्षा हुई है। भाजपा और बसपा ने तो हद ही कर दी । विधानसभा चुनाव में जातीय समीकरण बनाने के चक्कर में लक्ष्मी कांत वाजपेयी को प्रदेश अध्यक्ष पद से और राजपूत नेता विजय बहादुर को पार्टी से रुखसत कर दिया। सपा में अमर सिंह ज़रूर लाए गए हैं, पर उन्हें निष्क्रिय बना कर रखा गया है। इसी तरह ठाकुर राजनाथ सिंह केंद्र में गृहमंत्री रहते दोयम दर्जे की हैसियत रखते हैं। इन सब बातों को लेकर अगड़ी जाति के लोगों को लगता है कि मौजूदा राजनीति में उनके लिए जगह नहीं है। उनके इसी दर्द को भांपते हुए कोंग्रेस के पीके ने ब्राह्मण और राजपूतों को चुनावी समर में आगे लाने और उन्हें अधिक से अधिक भागीदारी दिलाने का एक बड़ा कैनवास तैयार किया है। बताते हैं कि इसपर अमल को उन्होंने ने पार्टी हाई कमान को प्रदेश की 402 सीटों में 100 सीट ब्राह्मणों, 70 राजपूतों और 32 के करीब अन्य अगड़ी जाति के उम्मीदवारों को देने की सिफारिश की है। कहते हैं आलाकमान सैद्धान्तिक रूप से सहमत भी हो गया है,पर इसपर मुहर लगाने से पहले सूबे के 66 जिलों का 49 दिनों तक मंथन कर हवा का रुख भांपने की योजना बनाई गई है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जितिन प्रसाद कहते हैं इसमें हर्ज ही क्या है। जब ब्राह्मण हमारी मुख्यमंत्री कैंडिडेट हो सकती हैं तो अगड़ों को भी चुनाव में महत्त्व दिया जा सकता है।

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लखनऊ से एम ए हाशमी