दिल्ली की सियासत का यह बेहद यादगार लम्हा है। जुमेरात का दिन सूबे में अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली आम आदमी पार्टी हुकूमत की किस्मत तय कर देगा। अपोजिशन बीजेपी चाहती है कि यह हुकूमत गिर जाए। खुद हुक्मरान जमात के हुक्मरानों को भी (आप के लीडर बार-बार कांग्रेस पर आंखें तरेर रहे हैं) हुकूमत के गिर जाने की परवाह नहीं है। और कांग्रेस की मजबूरी/ बेबसी देखिए कि वह न चाहते हुए भी इस हुकूमत को एक तरह से से अपने कंधों पर ढोने को मजबूर है। वह बिलकुल नहीं चाहती कि यह हुकूमत कम से कम इस वक्त गिरे। इस हुकूमत की जिंदगी वह अपने हिसाब से तय करना चाहती है।
वजीर ए आला के ओहदे की की हलफ बर्दार्री लेने के बाद अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली वालों को रोजाना 666 लीटर मुफ्त पानी देने का फैसला कर दिया। उन्होंने बिजली की कीमत को आधा करने का वादा भी निभा दिया। निजी बिजली कंपनियों की नाक में नकेल डालने का काम करते हुए उन्होंने इनके खातों की कैग से जांच कराने का हुक्म भी जारी कर दिया। सियासी फायदे नुकसान की बात करें तो उन्होंने अपना काम पूरा कर लिया है। उनका यह तखमीना / अंदाजा बिलकुल सही लगता है कि अगर अगले कुछ महीनों में दिल्ली विधानसभा के फिर से इलेक्शन हुए तो उनकी पार्टी को मुकम्मल अक्सरियल हासिल हो जाएगी।
दूसरी ओर इक्तेदार से चार कदम पीछे रह गई बीजेपी भी इलेक्शन चाहती है। अगर यह सुकूमत गिर जाती है तो सियासी नज़र से बीजेपी के पालिसीसाजों का खुश होना लाजिमी है। पार्टी की सोच यह है कि अगर हुकूमत गिर गई और इलेक्शन की नौबत आई तो थोड़े दिनों के सदर राज के बाद लोकसभा इलेक्शन के साथ विधानसभा के भी इलेक्शन होंगे और पार्टी अपने वज़ीर ए आज़म के ओहदे के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की मकबूलियत की लहर में दिल्ली का इलेक्शन भी जीत लेगी।
सियासी जानकारों की मानें तो सिर्फ कांग्रेस ही ऐसी पार्टी है जो कम से कम इस माहौल में इलेक्शन नहीं चाहती। पार्टी के एक एमएलए ने कहा कि इस वक्त हमने ऐसा क्या कर दिया है जिसे लेकर हम जनता के बीच जाएंगे। जाहिर है कि 15 साल की अपनी हुकूमत गंवा चुकी पार्टी को फिलहाल इलेक्शन सख्त घाटे का सौदा समझ में आ रहा है। शायद यही वजह है कि वह किसी भी कीमत पर अगले कुछ महीनों तक इस लंगड़ी हुकुमत की बैसाखी बने रहना चाहती है।
कांग्रेस के पालिसीसाजों का मानना है कि जून-जुलाई की गर्मियों में पानी-बिजली को लेकर मचने वाला हाहाकार केजरीवाल की मकबूलियत की हवा निकाल देगी और तब हवा कांग्रेस की तरफ बहने लगेगी। उस वक्त न मोदी की लहर का खतरा होगा और न ही केजरीवाल का जादू काम करेगा। अब देखना यह है कि जुमेरात को ऐवान में किसकी किस्मत बुलंद होती है।