कांग्रेस के EVM वाले आरोप पर चुनाव आयोग ने माना अधिकारीयों से गलती हुई !

पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों के बीच देश के 23वें मुख्य निर्वाचन आयुक्त के तौर पर सुनील अरोड़ा रविवार को अपना पदभार ग्रहण करेंगे. लेकिन कुर्सी संभालते ही सुनील अरोड़ा को ईवीएम और चुनावों में गड़बड़ी संबंधी शिकायतों से रूबरू होना पड़ेगा. अब तक ईवीएम संबंधी शिकायतों को लेकर चुनाव आयोग की तरफ एक ही जवाब आता रहा है कि ‘ईवीएम से छेड़छाड़ की ही नहीं जा सकती.’ और इसे साबित करने के लिए आयोग हैकाथन का आयोजन भी करा चुका है.

मध्य प्रदेश के एक निजी होटल में ईवीएम मशीन और सागर जिले में  बिना नंबर की स्कूल बस से स्ट्रांग रूम में ईवीएम पहुंचाए जाने का वीडियो जारी करते हुए कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि बीजेपी मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में जनादेश को पटलने की कोशिश कर रही है. वहीं एक अन्य मामले में शुक्रवार को ही मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में लगभग एक घंटे के लिए बिजली नहीं होने की वजह से स्ट्रांग रूम का सीसीटीवी और एलईडी डिस्प्ले इस अवधि में काम नहीं कर पया.

कांग्रेस के कोषाध्यक्ष अहमद पटेल ने ट्वीट करते हुए कहा है कि मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में हार देखते हुए कुछ लोग स्ट्रांग रूम में ईवीएम से छेड़छाड़ करने की कोशिश कर रहे हैं. चुनाव आयोग से गुजारिश है कि वो जांच करे और कड़ी कर्रवाई करे.

आयोग ने माना अधिकारियों से हुई गलती

वहीं चुनाव आयोग ने भी माना है कि मध्य प्रदेश में ऐसी दो घटनाएं हुईं है जिसमें ईवीएम को लेकर नियमावली का पालन नहीं किया गया. लेकिन आयोग का कहना है कि यह गलती प्रक्रिया तक ही सीमित है और मशीनों से कोई छेड़छाड़ नहीं की गई.

दरअसल यह मामला तब प्रकाश में आया जब बुधवार को हुई वोटिंग से 48 घंटे बाद एक बिना नंबर प्लेट लगी ईवीएम से भरी बस सागर जिला कलेक्टर दफ्तर पहुंची. यह मशीनें मध्य प्रदेश के गृह मंत्री भूपेंद्र सिंह के खुरई विधानसभा क्षेत्र से आई थीं. हालांकि शुक्रवार को चुनाव आयोग की तरफ से कहा गया कि यह आरक्षित श्रेणी की मशीने थीं जिन्हें बैक अप से लिए रखा गया था. लेकिन शनिवार को आयोग ने एक अधिकारी को मशीने देरी से जमा कराने के आरोप में सस्पेंड कर दिया.

चुनाव आयोग द्वारा जारी बयान में कहा गया कि मशीनों के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की गई. मशीने देरी से पहुंचने के लिए नायब तहसीलदार राजेश मेहरा को सस्पेंड कर दिया गया है. वहीं शुक्रवार को शाजापुर जिले में एक बीजेपी नेता के होटल में ईवीएम मशीनों के साथ अधिकारियों के वीडियो सामने आने पर भी चुनाव आयोग ने कहा कि अधिकारियों द्वारा होटल में ईवीएम मशीनों के साथ जाना नियमों की अनदेखी थी और जैसे ही खबर मिली संबंधित अधिकारियों को हटा दिया गया.

ईवीएम को लेकर क्या है नियम ?

चुनाव आयोग द्वारा यह सफाई कांग्रेस की शिकायत के बाद दी गई. चुनाव आयोग के नियम के अनुसार प्रयोग में न लाई जाने वाली मशीनें अलग रखी जाती है. लेकिन नियम में भी यह भी लिखा है कि प्रयोग न लाई जाने वाली मशीने अगले दिन संबंधित अधिकारी के पास जमा होंगी और खुरई विधानसभा के मामले में ऐसा नहीं हुआ जिसकी वजह से मशीने 48 घंटे में पहुंची.

इसके साथ ही प्रयोग ने लाई जाने वाली आरक्षित श्रेणी की मशीनों को लेकर आयोग का नियम कहता है कि इस तरह की मशीनों को कहा रखा जाना है यह पहले से तय होता और राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को इसकी सूचना देनी होती है. और यह किसी भी संदेह को जगाने के लिए संग्रह और गिनती केंद्र के आसपास नहीं होना चाहिए.

शनिवार को कांग्रेस के नेताओं ने चुनाव आयोग पहुंचकर शिकायत दर्ज कराई और मध्य प्रदेश व छ्त्तीसगढ़ में पार्टी कार्यकर्ताओं स्ट्रांग रूम पर 11 दिसंबर तक नजर रखने के निर्देश दिए हैं. मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ ने ट्वीट में लिखा, “सभी कांग्रेसजन , कांग्रेस प्रत्याशियों से अपील 11 दिसम्बर मतगणना तक स्ट्रॉंग रूम व ईवीएम पर निगरानी रखे, विशेष सावधानी रखे. कांग्रेस की सरकार बनना तय है.”