यूपी कांग्रेस में बदलाव की शुरुआत हो गई है। गुरुवार को प्रदेश कांग्रेस कार्यालय पर कांग्रेस का प्रवक्ता बनना के लिए रिटिन टेस्ट लिया गया। ये टेस्ट कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता व मीडिया कन्वीनर प्रियंका चतुर्वेदी व नेशनल मीडिया कोर्डिनेटर रोहन गुप्ता की ओर से लिया गया।
इस दौरान लगभग 70 कैंडिडेट्स ने ये परीक्षा दी। इसमें यूपी में आरक्षित सीटें, मोदी सरकार व योगी सरकार की असफलता, मनमोहन सरकार की उपल्बधियां बताने से लेकर तमाम सवाल पूछे गए। कई सवाल देखकर कैंडिडेट्स के पसीने भी छूट गए।
बता दें कि प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर की ओर से पुरानी मीडिया टीम को भंग कर दिया गया था। अब 20 से 25 कैंडिडेट्स को इसमें शॉर्ट लिस्ट किया जाएगा जो कि नई मीडिया टीम के सदस्य होंगे।
इस टेस्ट को देने के लिए कैंडिडेट्स के पास एक दिन पहले मैसेज आ गया था। कहा गया था कि गुरुवार को एक अहम मीटिंग है। कुछ कैंडिडेट्स को अंदाजा था कि इंटरव्यू होंगे लेकिन ‘रैंडम टेस्ट’ की उम्मीद ज्यादा को कई नहीं थी। कई सीनियर नेताओं के चेहरे भी लटके दिखे।
उन्हें इस तरह के सवालों की उम्मीद नहीं थी। कई एक-दूसरे का मुंह ताकते दिखे। लिखित परीक्षा में 14 सवालों के अलावा सभी का एक-एक कर इंटरव्यू भी लिया गया। कैंडिडेट्स से उनके बारे में पूछा गया। इसके अलावा पार्टी को लेकर उनके विजन को भी तराशा गया।
सवाल
यूपी में कितने मंडल,जिले व ब्लॉक हैं ?
यूपी में लोकसभा की कितनी आरक्षित सीटें हैं?
2004 व 2009 में कांग्रेस कितनी सीटों पर जीती थी?
लोकसभा 2014 व 2017 विधानसभा में कांग्रेस को कितने प्रतिशत मत मिले हैं?
यूपी में कितनी लोकसभा और विधानसभा सीटे हैं?
यूपी में एक लोकसभा सीट में कितनी विधानसभा सीटें आती हैं ?
किन लोकसभा सीटों पर मानक से कम या ज्यादा विधानसभा सीटे हैं?
प्रवक्ता का कार्य क्या होता है?
आप प्रवक्ता क्यों बनना चाहते हैं?
मोदी सरकार की असफलता के प्रमुख बिंदु क्या-क्या हैं..?
योगी सरकार की असफलता के प्रमुख बिंदु क्या हैं..?
मनमोहन सिंह सरकार की उपलब्धियां क्या-क्या थीं?
आज समाचार पत्र में तीन प्रमुख खबरें क्या हैं जिन पर कांग्रेस प्रवक्ता बयान जारी सर सके?
कुल 14 सवाल पूछे गए। कई कैंडिडेट्स का कहना था कि अंत के सवाल के तो उन्होंने जवाब दे दिए लेकिन शुुरुआत के सवालों ने फंसा दिया।
प्रियंका चतुर्वेदी के मुताबिक एआईसीसी में भी इस तरह के टेस्ट होते रहते हैं। अब उसी पैटर्न पर हमने यहां भी टेस्ट किया। ये कहना ठीक नहीं कि कठिन सवाल पूछे गए। हमने बेसिक सवाल पूछे। प्रवक्ताओं से इसके जवाब की उम्मीद रहती है। प्रदेश की नई टीम नेशनल मीडिया टीम के पैटर्न पर ही चलेगी।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, नए चेहरों को मीडिया टीम में जगह मिलना तय है। इसी कारण पार्टी कार्यालय में कई वरिष्ठ नेता मायूस नजर आ रहे थे। कुछ के चेहरे लटके भी दिख रहे थे। मीडिया विभाग समेत चार विभागों को भंग करने का फैसला प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर की ओर से लिया गया था।
संगठन को यूपी में दोबारा से खड़ा करने की शुुरुआत हो गई है। सूत्रों की मानें तो प्रदेश प्रभारी भी बदले जा सकते हैं। यूपी कांग्रेस के फिलहाल गुलाम नबी आजाद प्रभारी हैं।
ऐसे में कौन होगा नया प्रभारी इसको लेकर कई नाम चल रहे हैं लेकिन अभी कुछ साफ नहीं हो पाया है। सूत्रों के मुताबिक, आलाकमान किसी ऐसे नेता को प्रभारी बनाना चाहते हैं जो अपने तजुर्बे व मेहनत से कांग्रेस को फिर से यूपी में खड़ा कर सके। इसके अलावा सपा-बसपा के नेताओं से भी उसके संबंध मधुर हों।
साभार- ‘पत्रिका’