कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) की हुकूमत में झगड़ा बढता ही जा रहा है। अब दिल्ली की केजरीवाल हुकूमत Anti-Corruption Cell को कॉमनवेल्थ गेम्स (सीडब्लूजी) घोटाले से जुडे एक मामले में नई एफआईआर दर्ज करके जांच को आगे बढाने की हिदायत दिये है। इससे दिल्ली की साबिका वज़ीर ए आला शीला दीक्षित की मुश्किलें बढ सकती हैं। यह मामला कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान स्ट्रीट लाइट की खरीद में घोटाले से जुडा हुआ है।
इल्ज़ाम है कि इस खरीद में नियमों की अनदेखी कर पांच से छह हजार रूपये में मिलने वाली लाइट 27 हजार रूपए में खरीदी गई, इससे सरकारी खजाने को 92 करोड रूपये का नुकसान हुआ। इस जांच से साबिका वज़ीर ए आला शीला दीक्षित और पीडब्ल्यूडी वज़ीर रहे राजकुमार चौहान की मुश्किलें बढ सकती हैं।
सीएम शीला दीक्षित ने ही इस प्रॉजेक्ट को हरी झंडी दी थी। दिल्ली के पीडब्लूडी के वज़ीर मनीष सिसोदिया ने एक रिपोर्ट तैयार की है, जिसमें शीला का नाम लेकर कहा गया है कि उस वक्त की हुकूमत ने प्राइवेट कंपनी को गलत तरीके से फायदा पहुंचाया है।
सिसोदिया की रिपोर्ट की बुनियाद पर सीएम अरविंद केजरीवाल ने जुमेरात के रोज़ को एंटी करप्शन ब्यूरो को मामला दर्ज करने का हुक्म दिया है। इसी के साथ एमसीडी के आफीसरो के खिलाफ भी केस दर्ज हो सकता है। एमसीडी की वजह से हुकूमत को 96 करोडा रूपये का नुकसान हुआ। इससे तीन दिन पहले तीन फरवरी को ही सीएम अरविंद केजरीवाल ने साबिका सीएम शीला दीक्षित को घेरने की शुरूआत गैर कानूनी कालोनियों को बाजब्ता करने के मामले को लेकर कर दी थी।
केजरीवाल ने गैरकानूनी कॉलोनियों में प्रोवीजनल सर्टिफिकेट बंटवाने के मुद्दे पर शीला दीक्षित के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की सिफारिश सदर जम्हूरिया से की थी। इस मामले में लोकायुक्त से शिकायत पहले ही की जा चुकी है। अब केजरीवाल की हुकूमत इस मामले में लोकायुक्त रिपोर्ट की बुनियाद पर शीला दीक्षित के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए मुताल्लिक महकमो को हिदायत दे सकती है।
गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों से केजरीवाल की हुकूमत एक के बाद एक ऐसे फैसले कर रही है, जिसकी आंच कांग्रेस लीडरों तक पहुंचती है। बुध के रोज़ को ही खबर आई थी कि केजरीवाल की हुकूमत ने कैश फॉर वोट मामले में दोबारा हाईकोर्ट में अपील करने का फैसला लिया था। इसके इलावा रियासती हुकुमत ने 1984 के सिख दंगे पर एसआईटी जांच की गुजारिश नायब गवर्नर से किया है।