कांग्रेस-भाजपा में राब्ता : मरांडी

रांची 25 अप्रैल : झाविमो सदर और पर्लिमानी बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि कांग्रेस-भाजपा में सांठगांठ हैं। दोनों झारखंड का भला नहीं चाहते। बारी-बारी से रियासत को लुटने और लुटवाने का मोआहेदा किया है। झामुमो-आजसू सियासती नहीं, कारोबार कर रहे हैं। हुकूमत में रह कर पैसे इक्ट्ठा करते हैं, फिर इन्तेखाबात में पानी की तरह पैसे बहाते हैं। झामुमो-आजसू सियासती के सौदागर हैं। इन दलों को मुसलमानों से कोई दर्द नहीं है। गुज़ीस्ता 12 साल में इनको मुसलमानों की फ़िक्र नहीं हुई। मरांडी बुध को मोरहाबादी मैदान में पार्टी अकलियत मोरचा की तरफ से मुनक़द फलाह (हक) मार्च में जुटे मुसलमानों और पार्टी सर्मथकों को ख़ताब कर रहे थे। फलाह मार्च में रियासत भर से हजारों की तादाद में मुसलमानों ने शिरकत की।

सभा के एख्तेताम के बाद राजभवन मार्च का एलान हुआ, लेकिन इंतेजामिया ने मार्च निकालने से पहले मरांडी समेत पार्टी कारकुनों को मंच से ही गिरफ्तार कर लिया। सैकड़ों कारकुनों को गिरफ्तार कर कैंप जेल लाया गया, फिर रिहा कर दिया गया। गिरफ्तार कर नेताओं को स्टेडियम के कैंप जेल ले जाने के दौरान में कारकुनों के साथ पुलिस की जोर-आजमाइश भी हुई।

इधर, पार्टी सदर मरांडी ने कहा कि झारखंड के लोगों ने मौक़ा दिया, तो दुनिया को बता देंगे कि काम कैसे होता है।एक्तेदार आयी, तो छह से सात महीने नहीं लगेंगे। कागज पर की गयी एलान को जमीनी सतह पर उतारा जायेगा।

मरांडी ने कहा कि मुसलमानों को लेकर यहां की सरकार की नीयत सही नहीं रही है। कांग्रेस-भाजपा ने सियासती की सिम्त मोड दी है। गांव का तरक्की इनके एजेंडे में नहीं है।

मेम्बर असेंबली सत्येंद्र नाथ तिवारी ने कहा कि कांग्रेस और भाजपा मुसलमानों के सेंटीमेंट की सियासत करती है। अरविंद सिंह ने कहा कि कोई पॉलिटकल पार्टी यहां नहीं है, जो हुकूमत में नहीं रही है, सबने क्या किया है, सब जानते हैं। केवल बाबूलाल ने ही अक्लियतों की लड़ाई लड़ी है। ढुलु महतो ने कहा कि पैसे वाली पार्टियों से होश्यार रहने की जरूरत है। दुलाल भुइयां ने कहा कि अक्लियतों को मुत्तहिद होने की जरूरत है।

प्रवीण सिंह ने भाजपा और कांग्रेस की तनक़िद की। गौतम सागर राणा ने कहा कि मुसलमानों को मुत्तहिद होकर झाविमो के साथ खडे होने की जरूरत है। प्रो जावेद अहमद ने कहा कि झारखंड हुकूमत का बजट खसारे में चला गया है। रियासत में तरक्की नाम की कोई चीज नहीं है। इससे साबिक़ सभा को फूलचंद मंडल, जोबा मांझी, राजीव रंजन प्रसाद, हाजी अख्तर, अबू तालिम अंसारी, कारी मौलाना महताब, अलाउद्दीन सिद्दकी, माइन अंसारी ने ख़ताब किया।