कांग्रेस में नाराज़ सरगर्मीयां

यौम-ए- तासीस आंधरा प्रदेश के मौक़ा पर हुक्मराँ कांग्रेस में इंतिशार की कैफ़ीयत रियासत में पार्टी के मुस्तक़बिल पर सवालिया निशान लगाती है। पार्टी के 3 अरकान का अस्तीफ़ा और तेलंगाना राष़्ट्रा समीती में शमूलीयत का फ़ैसला अगर सयासी नौईयत का है तो इस पर ध्यान देना पार्टी के अहम ज़िम्मेदार अफ़राद का काम है।

वैसे किसी भी पार्टी से इज़हार लाताल्लुक़ी करके दूसरी पार्टी से वाबस्ता होने का अमल कोई नई बात नहीं है।ज़ाती मुफ़ादात को अज़ीज़ रख कर सियासतदां एक पार्टी से दूसरी पार्टी में छलांग लगाते रहते हैं। टी आर ऐस में शामिल होने वाले अरकान में साबिक़ वज़ीर जोपली कृष्णा राव और टी राज्य के इलावा पार्टी के एसोसी ऐट रुकन जो आज़ाद उम्मीदवार की हैसियत से मुंतख़ब हुए थे ऐस सत्य ना रावना ने कांग्रेस से अस्तीफ़ा दे कर टी आर एस की रुकनीयत हासिल करली।

दिलचस्प बात ये है कि इन तीनों अरकान असमबली से कांग्रेस के किसी भी अहम लीडर ने रब्त पैदा नहीं किया और ना है उन्हें ऐसा ना करने की कोई तरग़ीब दी गई और अगर कोशिश की भी गई तो ये सतही थी। तेलंगाना तहरीक के उरूज पर पहूंचने के बावजूद अलैहदा रियासत तेलंगाना की तशकील की कोई राह नज़र ना आए तो असल पार्टी तेलंगाना राष़्ट्रा समीती ने अपना सयासी मंसूबा बनालिया है कि वो तेलंगाना के अहम क़ाइदीन की दिलजोई करके अपनी सफ़ में शामिल करले और पार्टी को मज़बूत बनाए। अब तक टी आर उसका मंसूबा का मबाब होता रहा है।

क़िला में नक़ब लगाने की कोशिश की और इस के अरकान असमबली को रिझाते हुए अपनी सफ़ों को मज़बूत बनाने का मंसूबा बनाया अब इस का तीर कांग्रेस की तरफ़ होगया है। ये पहली मर्तबा है कि कांग्रेस के 3 अरकान असमबली ने पार्टी छोड़कर टी आर ऐस में शमूलीयत का अमली मुज़ाहरा किया है। टी आर ऐस सरबराह चन्द्र शेखर राव ने इन तीनों क़ाइदीन को पार्टी में शामिल कर लेने के बाद इस अमल को एक शुरूआत क़रार दिया आगे चल कर ऐसे कई क़ाइदीन टी आर उसको मज़बूत बनाईंगी।

इस ताज़ा तबदीली के साथ ही टी आर इसके अरकान असमबली की तादाद 17 होगई है। इन में 12 अरकान असमबली तो पार्टी टिकट से मुक़ाबला करके मुंतख़ब हुए थी। तलगोदीशम के दो अरकान असमबली गमपा गवर्धन और जोगी रमना ने भी हाल ही में टी आर ऐस में शमूलीयत इख़तियार करली थी। रियासत की सयासी सूरत-ए-हाल बज़ाहिर नाज़ुक नहीं है मगर अरकान असमबली का अपनी पार्टीयों से निकल कर दूसरी पार्टी में शामिल होने का रुजहान आगे चल कर एक नई सफ़ बिंदी और मुतवाज़ी ताक़त पैदा करदेगा।

मगर इस ताक़त के देरपा क़ायम रहने या कोई इन्क़िलाबी तबदीली लाने की कोई उम्मीद नहीं की जा सकती क्यों कि टी आर एस के ताल्लुक़ से भी ये क़ियास आराईयां होती रही हैं कि वो वक़्त आने पर किसी भी बड़ी पार्टी में ज़म होसकती है। कांग्रेस जैसी क़ौमी पार्टी को इलाक़ाई पार्टीयों से ख़तरा ज़रूर होता है मगर सयासी मुफ़ादात जब अज़ीज़ होते हैं तो इलाक़ाई पार्टीयां बड़ी पार्टीयों का हिस्सा बन जाते हैं।

मख़लूत इत्तिहाद के इस दौर में होसकता है कि टी आर उसने भी आंधरा प्रदेश में इलाक़ा तेलंगाना के लिए अपनी जद्द-ओ-जहद का रुख इक़तिदार के हुसूल की जानिब मोड़ दिया है और वो कांग्रेस की सफ़ों में फूट डालकर अरकान की बड़ी तादाद को अपनी जानिब राग़िब कराने में कामयाब हो जाय क्योंकि रियास्ती काबीना में तौसीअ के मद्द-ए-नज़र पार्टी में नाराज़गीयाँ यही ज़ाहिर करती हैं कि जिन को काबीना या पार्टी में पसंदीदा मुक़ाम नहीं मिलता वो अलैहदगी राह चुन लेते हैं।

अगर वो समझते हैं कि 3 अरकान असमबली के चले जाने से पार्टी का कोई नुक़्सान नहीं है तो आहिस्ता आहिस्ता इसी तरह की सोच बड़े ख़सारा से दो-चार करसकती है। यौम-ए- तासीस तक़ारीब के मसला पर चीफ़ मिनिस्टर किरण कुमार रेड्डी का फ़ैसला और क़ौमी पर्चम लहराने ज़िला कुलैक्टरस को हिदायत देने से वक़्ती तौर पर सूरत-ए-हाल की अबतरी दिखाई नहीं देगी लेकिन बादअज़ां पार्टी क़ाइदीन की नाराज़गीयाँ कांग्रेस के हटधर्म मौक़िफ़ के बाइस कई चैलेंजस खड़ा करदेगी।

कांग्रेस के रियास्ती क़ाइदीन या मर्कज़ के रियास्ती उमूर पर नज़र रखने वाले ज़िम्मेदार अफ़राद इलाक़ाई पार्टी क़ाइदीन की मायूसियों को कम करने की कोशिश नहीं करेंगे तो पार्टी के ख़िलाफ़ मुख़्तलिफ़ किरदार उठ खड़े होंगी। तेलंगाना अवाम के ख़ाबों को चकनाचूर करने का मंसूबा रखने वाली कांग्रेस क़ियादत ख़ुद एक दिन बिखर जाएगी तो इस तबाही के लिए इस के हरबे ज़िम्मेदार होंगी।

तला करदेगा। चीफ़ मिनिस्टर किरण कुमार रेड्डी बज़ाहिर अब तक अपनी हुकूमत को बैसाखीयों के सहारे चलाने में कामयाब हुए हैं। लेकिन पार्टी क़ाइदीन की खुल्लम खुल्ला इज़हार-ए-नाराज़गी से उन के लिए ये मुश्किल पैदा होगई है कि वो सूरत-ए-हाल का बग़ौर तजज़िया करके हर ग्रुप के तक़ाज़ों को समझें।

अगर उन्हों ने अपनी हुकूमत को कोई ख़तरा महसूस नहीं किया है तो फिर उन की ये ग़लतफ़हमी इक़तिदार को पटरी से उतार देने का सबब बन जाएगी क्योंकि मज़ीद कांग्रेस अरकान असमबली पार्टी छोड़ने का इरादा कररहे हैं। लिहाज़ा चंद दिनों में कांग्रेस की बनाई हुई इलाक़ाई सियासत की पालिसीयां उस की गर्दन का शिकंजा बन जाएंगी