कांस्टेबल अबदुलक़दीर की इंसानी बुनियादों पर रिहाई और बेहतर ईलाज का मुतालिबा

* भूक हड़ताल कैंप ,इन्क़िलाबी शायर ग़दर, मौलाना नसीरउद्दीन , मौलाना हामिद मुहम्मद ख़ां, जनाब आमिर अली ख़ां , जनाब अज़ीज़ पाशाह और मिस्टर अमजद उल्लाह ख़ां ख़ालिद का ब्यान‌
हैदराबाद।( सियासत न्यूज़) क्या हुकूमत मुसल्मानों को कांस्टेबल अबदुलक़दीर की नमाज़ जनाज़ा के लिए जेल बुलाना चाहती है? । अबदुलक़दीर की इस हालत की सब से बड़ी ज़िम्मेदार हुकूमत है जिस ने क़ानून की ख़िलाफ़वरज़ी और इंसानी हुक़ूक़ को पामाल करते हुए अबदुलक़दीर को 22 बरस तक कैद‌ रखा है।

अगर राजय सरकार‌ और चीफ़ मिनिस्टर में ज़रा सी भी इंसानियत बाक़ी है तो तुरंत‌ अबदुलक़दीर की रिहाई और मुनासिब ईलाज का इंतिज़ाम करने का एलान करे।इन ख़्यालात का इज़हार कांस्टेबल मुहम्मद अबदुलक़दीर की जलदी रिहाई के लिए इंदिरा पार्क पर मुनाक़िदा एक रोज़ा भूक हड़ताल कैंप से एकता जाहिर करने के लिए पहूंचने वाली मुख़्तलिफ़ अहम शख़्सियतों ने किया।

इन्क़िलाबी गुलूकार ग़दर ने अपने ब्यान‌ के दौरान बताया कि क़दीर की रिहाई के लिए क़ानूनी जद्द-ओ-जहद शुरू किए जाने की ज़रूरत है। उन्हों ने बताया कि अबदुलक़दीर ने ए सी पी सत्या को जो क़तल किया था वो इन का कोई ज़ाती मसला या जायदाद का झगडा नहीं था बल्कि क़ौम के फाइदे के लीए अबदुलक़दीर ने एक जज़बाती इक़दाम किया था जिस की सज़ा उन्हें मिल चुकी है।

उन्हों ने सत्या के क़तल के लिए हक़ीक़ी मुजरिम हुकूमत को क़रार देते हुए कहा कि हुकूमत की जानिब से फ़सादात‌ पर कंट्रोल में नाकामी के सबब ये हालात पैदा होए थें। ग़दर ने बताया कि जब वो जेल में थे तो अबदुलक़दीर से रोज़ाना उन की मुलाक़ात हुवा करती थी और एक मर्तबा अबदुलक़दीर ने उन्हें बताया था कि मैंने सत्या को मारा, वो मरा, में जेल में आया और पुराने शहर में शांती पैदा हुई, इस तरह मैंने जो कुछ किया वो क़ौम के फाइदे के लीये किया था उन्हों ने चीफ़ मिनिस्टर से मुतालिबा किया कि इंसानी हुक़ूक़ को पामाल होने से बचाने के लिए हुकूमत तुरंत कारवाइ करे।

जनाब आमिर अली ख़ान न्यूज़ एडीटर सियासत ने अबदुलक़दीर की रिहाई को एक अहम‌ मसला क़रार देते हुए कहा कि इस मससे पर मुसलमानों को एक होकर‌ जद्द-ओ-जहद करने की ज़रूरत है। उन्हों ने सियासतदानों को आलोच्ना का निशाना बनाते हुए कहा कि हिंदूस्तान की कुल‌ आबादी का 5%हिस्सा जो सियासतदानों पर मुश्तमिल है अपने फाइदों के लीये पालिसीयां तैयार करता है।

50साल के दौरान सयासी क़ाइदीन ने मुसलमानों के फाइदे के लिए कुछ नहीं किया। जनाब आमिर अली ख़ान ने सिवील सोसाइटी को सरगर्म करने की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुए कहा कि हक़ीक़त में हमारी अपनी ग़लती है कि हम ने अपने मसलों के हल के लिए सियासतदानों पर भरोसा करना शुरू कर दिया है।

उन्हों ने बताया कि अपने मस्लों को हल करवाने के लिए अब हमें अपनी सलाहीयतों की बुनियाद पर कोशिशें करनी चाहीए।जनाब आमिर अली ख़ान ने बताया कि इंसान की हिंदूस्तान में औसत उम‌र 60 साल के क़रीब है और अबदुलक़दीर भी इस उम‌र के क़रीब पहुंच चुके हैं, लगभग‌ 30साल उन्हों ने मुलाज़मत हासिल करने में लगा दिए और 22 साल से क़ैद की ज़िंदगी गुज़ार रहे हैं। इस तरह अमली तौर पर अबदुलक़दीर की ज़िंदगी लगभग ख़त्म‌ होचुकी है, हुकूमत को चाहीए कि वो इंसानी हमदर्दी का मुज़ाहरा करते हुए फ़ौरी तौर पर अबदुलक़दीर की रिहाई के अहकामात जारी करे ताकि अबदुलक़दीर को इंसाफ़ मिल सके।

तंज़ीम इंसाफ़ की जानिब से हुइ इस एक रोज़ा भूक हड़ताल प्रोग्राम की सदारत जनाब सय्यद अज़ीज़ पाशाह पुर्व सदस्य‌ राज्य सभा ने की। एहतिजाज में जनाब आमिर अली ख़ां न्यूज़ एडीटर सियासत, इन्क़िलाबी गुलूकार ग़दर के इलावा मौलाना नसीर उद्दीन, मौलाना हामिद मुहम्मद ख़ां, जनाब मुहम्मद महमूद अली, जनाब अमजद उल्लाह ख़ान ख़ालिद, जनाब उसमान बिन मुहम्मद अलहाजरी, कामरेड नुसरत मुही उद्दीन, जनाब सना उल्लाह ख़ान, जनाब वी एस बोस, कामरेड ओबलीश, कामरेड यूसुफ़, शमस उद्दीन, मन्नान (सी पी आई), मिस्टर हयात हुसैन हबीब के इलावा दीगर ने शिरकत की।

मौलाना नसीर उद्दीन ने इस मौके पर अपने ब्यान‌ के दौरान जेल में पहुंचाई जाने वाली तकलीफों का जीकर‌ करते हुए कहा कि 20साल से जेल के तकलीफे बर्दाश्त करने के बावजूद भी अबदुलक़दीर की हमीयत ने रिहाई की भीक माँगना गवारा नहीं किया, लेकिन अब वो मजबूर होचुके हैं उन की रिहाई के लिए कोशिश करना मुसलमानों की ज़िम्मेदारी है। उन्हों ने बताया कि इसराईल की तर्बीयत याफ़ता पुलिस अपने पसंदीदा लोगों को जल्द रहा करने की राहें तलाश‌ करती है जबकि अबदुलक़दीर को फ़िर्कापरस्ती का निशाना बनाया जा रहा है।