कांस्टेबल अबदुल क़दीर की रिहाई का मुतालिबा

निज़ामाबाद, २१ दिसम्बर: ( प्रेस नोट ) एक ऐसे वक़्त जबकि मुल्क में आलमी इंसानी हुक़ूक़ का यौम मनाया गया है । ज़रूरत इस बात की है कि अर्बाब हुकूमत तहफ़्फ़ुज़ इंसानी हुक़ूक़ के सिलसिला में अपनी ज़िम्मेदारीयों की अंजाम दही के दौरान इंसानी इक़दार की सरबुलन्दी को पेशे नज़र रखते हुए इक़दामात रूबा अमल कब लाएंगे । इन अलफ़ाज़ में मिस्टर क़ाज़ी सैयद अरशद पाशा साबिक़ नायब सदर नशीन बलदिया-ओ-रुकन ए पी उर्दू एकेडेमी क़ाइद कांग्रेस ने एक सहाफ़ती ब्यान में हैदराबाद में अबदुल क़दीर ख़ान नामी एक पुलिस कांस्टेबल की जानिब से 21 साल क़बल एक पुलिस ओहदेदार की हलाकत की पादाश में जेल में क़ैद-ओ-बंद की सोबतें झेलने वाले शख़्स के सिलसिला में इंसानी पहलू से ग़ौर करते हुए जज़बा रहम के तहत उस को जेल से आज़ाद कर देना चाहीए ।

और एक इत्तिफ़ाक़ी जज़बाती तौर पर ग़लत क़दम उठाकर अबदुल क़दीर ख़ान ने एक तवील अर्सा जेल में गुज़ारकर ज़ईफ़ी की मंज़िल पर आ पहूँचा है । क़ाज़ी सैयद अरशद पाशा ने याद दिलाया कि यौम आज़ादी के मौक़ा पर रियास्ती और मर्कज़ी हुकूमतें इंसानी इक़दार के तहत मख़सूस केसों में तवील सज़ा पाने वाले अफ़राद को जेल में उन के रवैय्या और चाल चलन को पेशे नज़र रखते हुए उन की रिहाई केलिए इक़दामात करती रही हैं । जेल में अबदुल क़दीर ख़ान के बेहतर किरदार और जेल ओहदेदारों के साथ तआवुन का जायज़ा लेते हुए रियास्ती हुकूमत को बहरसूरत इंसानी हुक़ूक़ के एहतिराम में उन्हें रिहा कर देना चाहीए ।