काटजू का बिहार और कश्मीर वाला बयान अगर किसी मुस्लिम नेता ने दिया होता तो?

नई दिल्ली: अभी दो रोज़ पहले जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने एक विवादित बयान दिया जिसमें उन्होंने कहा कि अगर पाकिस्तान कश्मीर लेना चाहता है तो उसे बिहार भी लेना होगा. काटजू के इस बयान के बाद बिहार के मुख्यमंत्री से लेकर बड़े बड़े नेताओं की प्रतिक्रया आने लगी और उन सभी प्रतिक्रियात्मक बयानों में एक नाराज़गी नज़र आई लेकिन ये नाराज़गी कोई बहुत तल्ख़ ना थी.

इस बारे में सोशल मीडिया पर जब बात होने लगी तो कुछ लोगों ने ये सवाल उठाया कि क्या कोई और इस तरह का बयान देता तब भी लोग इसको सहजता से ले लेते. सोशल मीडिया एक्टिविस्ट्स का कहना है कि अगर ये बयान किसी मुस्लिम नेता ने दिया होता तो उसे तुरंत ही एक पक्ष “देशद्रोही” और जाने क्या क्या कहने लगता लेकिन काटजू के बयान पर ऐसी प्रतिक्रिया नहीं है.

लोगों का कहना था कि अगर किसी बयान में मुस्लिम नेता का बयान आ जाता है और वो अगर अच्छा बयान है तो उसे तो मीडिया का एक पक्ष दिखता नहीं है लेकिन अगर उसमें थोडा सा भी विवाद है तो उसे देशभक्ति से जोड़कर देख लिया जाता है.

हाल ही में आये ओवैसी के बयान जिसमें उन्होंने भारत सरकार के पाकिस्तान से संबंध तोड़ने के फ़ैसले का समर्थन किया है उसे मीडिया के एक पक्ष ने ज़्यादा तवज्जो नहीं दी. कुछ ऐसा ही आज़म खान के बयानों के साथ किया जाता है. कुछ इसी तरह का सवाल “व्यूज हेडलाइंस” नाम के न्यूज़ पोर्टल में भी पूछा गया है कि अगर काटजू की जगह किसी मुसलमान नेता ने ये बयान दिया होता तब क्या प्रतिक्रिया होती?