रांची 5 जुलाई : झारखंड में हुकूमत चलाने के लिए इत्तेहदियों की राब्ता कमेटी बनेगी। इसकी किरदार काबिना के बराबर होगी। कांग्रेस का कोई कौमी लीडर इसका सदर होगा। राब्ता कमेटी की बैठक में बहस के बाद ही कोई एजेंडा काबिना में पेश हो सकेगा।
दिल्ली में कांग्रेस हेड क्वार्टर में रियासती कांग्रेस इंचार्ज बीके हरिप्रसाद और झामुमो असेंबली रुक्न दल के लीडर हेमंत सोरेन के दरमियान हुई बातचीत में यह फैसला लिया गया। दोनों कायेदिनों ने मर्क़ज में तशकील सोनिया गांधी की सदारत वाली सलाहकार कोंसिल की तरह ही रियासत राब्ता कमेटी को भी मौसर बनाने पर जोर दिया।
राब्ता कमेटी तशकील करने की तजवीज राजद सरबराह लालू प्रसाद ने हुकूमत तशकील के शुरुआती दौर में ही दिया था। लालू का कहना था कि इसका कहना था की यूपीए वन के दौरान तशकील कौमी मुशीर कोंसिल की तर्ज पर ही रखा जाए।
यूपीए हुकूमत ने मनरेगा और राइट टू इंफॉर्मेशन जैसे कानून सलाहकार कोंसिल की सिफारिश पर ही लागू किए थे। हालांकि रियासत में तशकील होने वाली राब्ता कमेटी में कौमी सलाहकार कोंसिल की तरह गैर सियासी माहिर नहीं होंगे। यह कमेटी इत्तेहादी दलों के कायेदिनों को मिलाकर बनेगी।
इंतेजामिया में नहीं होगा सियासी मुदाख्लत
नई हुकूमत इंतेजामिया में सियासी मुदाख्लत नहीं होने देगी। हुकूमत चलाने के लिए बने कॉमन मिनिमम प्रोग्राम का यही फोकस प्वाइंट होगा। नई दिल्ली वाक़ेय कांग्रेस हेड क्वार्टर में ढाई घंटे चली बैठक के बाद कांग्रेस और झामुमो इस पर सहमत हो गए हैं। इससे कांग्रेस सदर सोनिया गांधी को आगाह करा दिया गया है। कांग्रेस जल्दी ही इसकी अवामी एलान कर सकती है।
बैठक में कांग्रेस के रियासती इंचार्ज बीके हरिप्रसाद और झामुमो लीडर हेमंत सोरेन ने इसे आखरी हतमी शकल दिया। इस दौरान दोनों फरीकों ने हुकूमत चलाने में उभरने वाले एख्तेलाफ के मुकिना मसायल पर भी बहस की। साथ ही रियासत के तरक्की और पार्टी की नजरियात की बुनियाद पर इत्तफाक के मुताल्लिक तय किए गए।