काबीना में रुकने असेंबली येल्लारेड्डी की शमूलीयत ज़रूरी

येल्लारेड्डी असेंबली हलक़ा जिस के 6 मंडल और दो लाख से ज़्यादा राय दहिंदे होने के बावजूद ये इलाक़ा पसमांदगी के दलदल से आज तक निकल नहीं पाया है।

येल्लारेड्डी मुस्तक़र के अवाम आज भी कई बुनियादी सहूलतों से महरूम हैं। अलाहिदा तेलंगाना की तशकील के बाद पहली मर्तबा इक़तिदार में आई टी आर एस इस इलाके से काबीना में ज़रूर जगह फ़राहम करेगी।

एसा इस हलके के अवाम की क़वी उमीद थी लेकिन एसा ना होसका। जिस से पसमांदा हलक़ा के अवाम को मायूसी हुई। एक बार फिर तेलंगाना के वज़ीर-ए-आला चंद्रशेखर राव‌ ने अपनी काबीना की 22 अक्टूबर को तौसीअ करने का एलान करने पर येल्लारेड्डी रुकन असेंबली को काबीना में शामिल किए जाने का अवामी मुतालिबा होरहा है।

येल्लारेड्डी हलक़ा असेंबली जो हर लिहाज़ से काफ़ी पसमांदगी का शिकार है यहां पर कई तरक़्क़ीयाती काम आज भी अधूरे पड़े हैं जिस से यहां के तालीम-ए-याफ़ता तबक़ा के साथ साथ मज़दूर पेशा अफ़राद को भी किसी किस्म के ज़राए नज़र नहीं आते जिस से कई अफ़राद नक़ल मुक़ाम करने पर मजबूर हैं।

अगर रुकने असेंबली रवींद्र रेड्डी को रियासती काबीना में शामिल करते हुए इस हलके के लिए मुख़्तलिफ़ तरक़्क़ीयाती काम अंजाम देने की राह हमवार करदी जाये तो होसकता हैके ये हलक़ा आइन्दा चार साल में पसमांदगी से बाहर आसके।