जमशेदपुर 11 जून : जदीद तर्ज़ ज़िन्दगी में मुश्तरका खानदान में घटते जा रहे हैं। साथ ही वालेदैन को अपने साथ नहीं रखने की रवायत तैयार हो रही है।
रोजाना ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जिसमें बच्चे वालेदैन को अपने साथ रखना नहीं चाहते। वह वक़्त और दु:खदायी हो जाता है जब बच्चे अपने वालेदैन को गुजारे के लिए पैसे तक नहीं देते। यह ऐसे खानदान में भी देखा जा रहा है जहां पांच बेटों के वालेदैन बेघर होकर सड़क पर जिंदगी गुजार रहे हैं।
बेदारी की कमी में वालेदैन अपने बेटों से गुजारे के लिए दावा नहीं कर पाते। जबकि भारतीय कानून में सीआरपीसी की दफा 125 उनके इस हक को यकीनी करता है। फैमली कोर्ट में वालेदैन अपने कामकाजी बेटों पर गुजारा उजरा देने का दावा कर सकते हैं।