कालाधन मामले में कार्रवाई : सेबी ने 162 कंपनियों को रेस्ट्रिक्टेड कैटेगरी में डाला

नई दिल्ली.सेबी के निर्देश पर 331 संदिग्ध शेल कंपनियों पर बड़ी कार्रवाई की गई है। इसके बाद मंगलवार से स्टॉक एक्सचेंज में इन कंपनियों में से 162 के स्टॉक्स में ट्रेडिंग बंद हो गई। हालांकि 169 में ट्रेडिंग पहले से सस्पेंड चल रही है। सेबी के एक्शन से पार्श्वनाथ डेवलपर्स और प्रकाश इंडस्ट्रीज जैसी कई बड़ी कंपनियों पर भी असर पड़ा है। इस कार्रवाई के चलते इन स्टॉक्स को जल्द ही डीलिस्टिंग का सामना करना पड़ सकता है। कॉरपोरेट अफेयर्स मिनिस्ट्री ने हाल में ऐसी 331 कंपनियों की लिस्ट साझा की थी, जिनके शेल कंपनियां होने का संदेह था। लिस्ट में कई बड़ी कंपनियों के नाम शामिल…

सेबी की इस लिस्ट में कई बड़ी कंपनियां भी हैं। इनमें पार्श्वनाथ डेवलपर्स, एसक्यूएस इंडिया, जे कुमार इन्फ्रा और प्रकाश इंडस्ट्रीज शामिल हैं।

इन कंपनियों को टैक्स चोरी और अन्य फ्रॉड्स में जांच का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, इन कंपनियों ने सभी आरोपों को खारिज किया है।

331 संदिग्ध शेल कंपनियों के स्टॉक्स की ट्रेडिंग बंद
मार्केट रेग्युलेटर सेबी द्वारा बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई), नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) और मेट्रोपोलिटन स्टॉक एक्सचेंज (एमएसई) को भेजे एक कम्युनिकेशन में इन 331 स्टॉक्स को तत्काल प्रभाव से ग्रेडेड सर्विलांस मेकैनिज्म (जीएसएम) के स्टेज 4 में डालने के लिए कहा गया था।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मंगलवार को बीएसई ने इन सभी स्टॉक्स को जीएसएम के स्टेज 4 में डाल दिया।

स्टॉक्स को जीएसएम के स्टेज 4 में का मतलब है कि इन स्टॉक्स में अब सामान्य ट्रेडिंग नहीं हो सकेगी। अब ये स्टॉक्स ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध भी नहीं होंगे। जीएसएम स्टेज-4 के स्टॉक्स में महीने में सिर्फ एक बार ट्रेडिंग होती है, जो ट्रेड-टू-ट्रेड कैटेगरी के दायरे में होता है।

इसके साथ ही इन स्टॉक्स में पिछले ट्रेडिंग प्राइस की तुलना में ऊपर की तरफ प्राइस मूवमेंट की मंजूरी नहीं होगी।
हालांकि, अगर ऐसा होता है तो बायर को ट्रेड वैल्यू का 200% एडिशनल सर्विलांस डिपॉजिट जमा करना होगा। इस रकम को एक्सचेंजेंस 5 महीने तक अपने पास रखेंगे।

एक्सचेंजेस से ‘इन कंपनियों की साख/फंडामेंटल्स की पुष्टि की प्रोसेस’ के अलावा उनके ऑडिट के वास्ते इंडिपेंडेंट ऑडिटर की नियुक्ति के लिए भी कहा गया है। अगर जरूरत पड़ी तो उनकी साख और फंडामेंटल्स का वैरिफिकेशन करने के लिए फॉरेंसिक ऑडिट भी कराया जा सकता।
वैरिफिकेशन के बाद अगर एक्सचेंज इन कंपनियों की साख या फंडामेंटल्स दुरुस्त नहीं पाते हैं तो उनकी ‘कम्पल्सरी डिलिस्टिंग’ की प्रॉसेस शुरू कर दी जाएगी।

इसके साथ ही इन कंपनियों को एक्सचेंज पर किसी सिक्युरिटी में डील की मंजूरी नहीं दी जाएगी और डिलिस्टिंग की प्रॉसेस पूरी होने तक किसी डिपॉजिटरी अकाउंट में मौजूद उसकी होल्डिंग फ्रीज कर दी जाएगी।

सेबी ने कहा कि इन लिस्टेड कंपनियों के प्रमोटर्स और डायरेक्टर्स के स्टॉक्स को संबंधित एक्सचेंजेस सत्यापन करेगा। इसके बाद ही किसी को ट्रांसफर किए जाने की इजाजत दी जाएगी।

सबसे ज्यादा कंपनियां प. बंगाल, महाराष्ट्र, गुजरात और दिल्ली की
स्टॉक में महीने में एक बार ट्रेडिंग होगी, महीने के पहले सोमवार को। यानी अगस्त में अब इनमें खरीद-बिक्री नहीं हो सकती है।
कंपनी के प्रमोटर और डायरेक्टर अपनी होल्डिंग नहीं बेच सकेंगे।
पिछली ट्रेडिंग प्राइस से ज्यादा कीमत पर शेयर ट्रेडिंग नहीं होगी।
शेयर खरीदने वाले को खरीद वैल्यू की 200% रकम एडिशनल सर्विलांस डिपॉजिट के तहत एक्सचेंज में 5 महीने के लिए रखनी पड़ेगी।

19 कंपनियों का मार्केट कैप 100 करोड़ रुपए से ज्यादा
जिन कंपनियों पर अंकुश लगाया गया है, उनमें 19 का मार्केट कैप 100 करोड़ रुपए से ज्यादा है। इनमें सबसे बड़ी तीन कंपनियां हैं।
जे. कुमार इन्फ्राप्रोजेक्ट्स: मार्केट कैप- 2,146
प्रकाश इंडस्ट्रीज: मार्केट कैप- 2,078
पार्श्वनाथ डेवलपर्स: मार्केट कैप- 1,020

वित्त मंत्रालय ने शेल कंपनियों की पहचान के लिए कुछ इंडिकेटर्स जारी किए थे। इसने बताया था कि इन कंपनियों की पेड-अप कैपिटल बहुत कम होती है। लेकिन बहुत ज्यादा प्रीमियम पर शेयर बेचने के कारण इनके पास सरप्लस रिजर्व काफी होता है।

ये अनलिस्टेड कंपनियों में निवेश करती हैं। इनके पास कैश ज्यादा लेकिन टर्नओवर और ऑपरेटिंग इनकम बहुत कम होता है, खर्च और फिक्स्ड एसेट भी कम होते हैं।