किंगफिशर के इंजीनीयर्स की इजतिमाई दस्तबरदारी ,ख़िदमात मुअत्तल

तक़रीबन 80 इंजीनीयर्स ने किंगफिशर एयर लाइंस से गुज़शता चार माह के दौरान तनख़्वाहों की अदमे अदायगी की बिना पर तक़रीबन दीवालीया एयर लाइंस किंगफिशर एयर लाइंस से इस्तीफा दे दिया है । ज़राए ( सूत्रों) के बमूजब ( मुताबिक) तक़रीबन 60 से 80 इंजीनीयर्स गुज़शता चार से पाँच माह में मुस्ताफ़ी ( बर्खास्त) हो चुके हैं उन्हें तनख़्वाहों की अदमे अदायगी की बिना पर ख़िदमात पर बरक़रार नहीं रखा जा सका ।

मज़ीद ( और भी) कई इंजीनीयर्स ऐसा ही मंसूबा बना रहे हैं । एयर लाइंस के ज़राए ( सूत्रों) ने पी टी आई से कहा कि मज़ीद चंद इंजीनीयर्स एयर लाइंस को ख़ुदाहाफ़िज़ कहने वाले हैं । अगर ये रुजहान जारी रहे तो एयर लाइंस को इंजीनीयर्स की शदीद क़िल्लत का सामना होगा ।

तक़रीबन 200 इंजिनीयर्स अप्रैल में तनख़्वाहों की अदायगी में ताख़ीर ( देरी/ विलम्ब) के ख़िलाफ़ बतौर-ए-एहतजाज मुस्ताफ़ी (इस्तीफा दे वाले) हो चुके हैं । ताहम किंगफिशर ने अपना ये मौक़िफ़ बरक़रार रखा है कि इसके पास परवाज़ें ( उड़ान) बरक़रार रखने के लिए काफ़ी तादाद में इंजिनीयर्स मौजूद हैं ।

एयर लाईन के तर्जुमान ने अपने तहरीरी पैग़ाम ( लिखित पत्र) में कहा कि काफ़ी तादाद में इंजीनीयर्स मौजूद हैं जो कार्यवाहीयां बरक़रार रख सकते हैं । किंगफिशर के हिसस पस्त तरीन सतह पर पहुंच गए हैं माह मई में इन की क़दर गुज़शता साल 20 फ़ीसद से कम होकर सिर्फ़ 5.2 फ़ीसद रह गई है।

इस की वजह परवाज़ों की बेक़ाइदगी है । एयर लाइंस ने फ़रवरी से अपने मुलाज़मीन (सेवको) को तनख़्वाहें अदा नहीं की है । एयर लाइंस मई 2005 में अपने क़ियाम से अब तक फ़ायदाबख्श एयर लाइंस साबित नहीं हो सका है । उसे मार्च में ख़त्म होने वाली सहि माही में 1151.5 करोड़ रुपय का क़र्ज़ हो चुका है और नुक़्सान भी इसी के मुसावी ( बराबर) है ।

बैंगलोर की ये एयर लाइंस टैक्स की अदायगी से भी क़ासिर रह चुकी है । इसके इलावा अपने सारिफ़ीन ( ग्राहको) को भी अदायगी में बेक़ाइदगी की मुर्तक़िब (दोषी) है । इस ने गुज़शता दिसम्बर में बैंक से ताज़ा फंड्स तलब किए थे । इलावा अज़ीं बैरून-ए-मुल्क फंड्स हासिल करने की भी नाकाम कोशिश की थी ।

ताहम (यद्वपी) बैंकर्स की तलब में ये कहते हुए इज़ाफ़ा कर रहे थे कि इस के प्रोमोटर्स बिशमोल सदर नशीन विजय माल्या बज़ात-ए-ख़ुद कम अज़ कम 2000 करोड़ रुपये का ताज़ा सरमाया मशग़ूल करेंगे ताकि तलब की तकमील ( पूर्ती) हो सके ।