किन्नर की मौत, पाकिस्तानी समाज की असंवेदनशीलता

इस सप्ताह की शुरुआत में खैबर पख्तूनख्वा के शहर पेशावर में अलीशा नामी किन्नर को बंदूकधारियों ने गोलीबारी कर घायल कर दिया और वह चोटों के आगे घुटने टेकते हुए आज उनकी मौत हो गई हैं।

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार अलीशा को हमले के बाद पेशावर के लेडी रीडिंग अस्पताल में ले जाया गया था। खैबर पख्तूनख्वा ख्वाजा किन्नरों  की संग्ठन ट्रांज एक्शन अलाउंस (टी ए ए) के फेसबुक पेज पर अस्पताल में  अलीशा के साथ गैर जिम्मेदाराना व्यवहार कई बार उल्लेख किया गया है। इस बारे में लिखा गया है कि अस्पताल के डॉक्टर अलीशा के साथ आने वाले किन्नरों  से पूछते रहे कि क्या वह सिर्फ डांस करते हैं? और वह बतौर मुआवजा कितने पैसे लेते हैं। इसके अलावा प्रयोगशाला में भी अलीशा के बारे में पूछा गया कि क्या उसे एड्स की बीमारी तो नहीं है।

उसी फेसबुक पेज पर एक पोस्ट में लिखा गया है कि अलीशा के लिए उन्हें एक अलग कमरा लेना पड़ा क्योंकि डॉक्टर न उसे मर्दाना और न ही स्त्री वार्ड में प्रवेश कर रहे थे।स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार इस साल खैबर पख्तूनख्वा में किन्नरों के खिलाफ हिंसा का यह पांचवां घटना है। अदनान, समीर, कोमल और आयशा को इसी साल अत्याचार का निशाना बनाया गया था। इन सभी का संबंध ‘टी ए ए’ से है।

इस संगठन और नागरिक समाज के सदस्यों का कहना है कि खैबर पख्तूनख्वा में किन्नरों का हत्या, अपहरण, हरासाँ, रैप और उनकी तौहीन करने की घटनाएं आ चुके हैं। ट्रांससेक्सुअल पर दबाव डाला जाता है और उनसे जबरन भत्ता मांगा जाता है।इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर हैशटैग अलीशा ट्रेंड कर रहा है और कई लोग पाकिस्तानी समाज में किन्नरों के खिलाफ भेदभाव व्यवहार पर सवाल उठा रहे हैं।