किरण बेदी पहली खातून आईपीएस अफसर हैं भी या नहीं यह सवाल हम नहीं उठा रहे हैं. बल्कि सोशल मीडिया पर यह पूछा जा रहा है. दरउसल ट्विटर पर किरन बेदी से जुड़ा एक ट्वीट आने के बाद हर कोई हैरान रह गया.
सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने ‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ की क्लीपिंग से भी ‘खेल’ कर उसे सोशल मीडिया में चला दिया. जिससे हड़कंप मच गया. इस ट्वीट के आने के बाद आप के कारकुन और मूशीकार विशाल डडलानी ने इसे ट्विट कर और आगे बढ़ा दिया और लिखा कि क्या किरण ‘पहली खातून आईपीएस आफिसर’ भी नहीं हैं.
दरअसल, सिर्फ ‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ के साथ एक खबर छापी गई (संलग्न पी.डी.एफ.) कि ‘फर्स्ट आईपीएस ऑफिसर किल्ड इन कार’. फर्जीपन का आलम यह रहा कि अखबार दिखाया गया 1959 का और पंजाब कैडर की जिस खातून आफिसर का जिक्र किया गया वह 1956 के बैच की थीं. उनका नाम सुरजीत कौर बताया गया. इसके अलावा इस खबर को सीधे मास्टर हैड के नीचे रखा गया जो कि मुम्किन नहीं. इसके अलावा 1959 के किसी भी महीने की 14 तारीख को जुमा नहीं है.
दरअसल इंटरनेट पर ऐसी साइट्स हैं, जो अखबारों की फर्जी कतरनें तैयार करती हैं.