‘किसानों की आय बढ़ाने में फसलों की विविधता, पशुधन और बागवानी क्षेत्र सर्वाधिक लाभप्रद साबित हो सकते हैं’: उपराष्ट्रपति

उपराष्‍ट्रपति एम.वेंकैया नायडू ने किसानों की आय दोगुनी करने के लिए सरकार द्वारा व्‍यक्‍त किये गये दृढ़संकल्‍प की सराहना की है और इसके साथ ही उन्‍होंने खरीफ फसलों के न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍यों (एमएसपी) में की गई उल्‍लेखनीय वृद्धि के लिए भारत सरकार की प्रशंसा की है।

उन्‍होंने कहा कि ये कदम किसानों की आय बढ़ाने में काफी मददगार साबित होंगे। उपराष्‍ट्रपति ने आज पोर्ट ब्‍लेयर में केंद्रीय द्वीप कृषि अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर) द्वारा आयोजित एक संवादात्‍मक सत्र के दौरान उपस्थित लोगों को संबोधित किया। अंडमान एवं निकोबार द्वीप के लेफ्टिनेंट गवर्नर एडमिरल डी.के.जोशी, सांसद श्री बिष्‍णु पाडा रे और वैज्ञानिक एवं किेसान समुदायों की ओर से अन्‍य गणमान्‍य व्‍यक्ति भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

उपराष्‍ट्रपति ने खरीद प्रक्रिया और पीडीएस (सार्वजनिक वितरण प्रणाली) नेटवर्क को सुव्‍यवस्थित बनाने की जरूरत पर विशेष बल दिया, ताकि किसान अपनी उत्पादन लागत से 50 प्रतिशत या उससे अधिक पर एमएसपी प्राप्‍त करने के साथ-साथ अधिकतम लाभ भी हासिल कर सकें। उन्‍होंने कहा कि कृषि क्षेत्र, विशेषकर छोटे एवं सीमांत किसानों की मुश्किलें कम करने के लिए आमदनी बढ़ाने के अन्‍य उपाय भी करने की जरूरत है।

उपराष्‍ट्रपति ने इस अवसर पर उपस्थित वैज्ञानिक समुदाय से अपने वैज्ञानिकों की टीम और कृषि विज्ञान केन्‍द्रों के जरिये किसानों के साथ नियमित रूप से बातचीत करने को कहा। उन्‍होंने यह भी कहा कि कृषि क्षेत्र के विकास के लिए अनुसंधान संस्‍थानों, किसानों और स्‍थानीय प्रशासन के बीच बेहतर सामंजस्‍य अत्‍यंत आवश्‍यक है।

उत्पादन, बाजार और मूल्यों से जुड़े जोखिम के चलते किसानों की अस्थिर आय पर चिंता जाहिर करते हुए उपराष्ट्रपति ने किसानों की आय बढ़ाने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि खेती में फसलों की विविधता, पशुधन (गौशाला और मुर्गीपालन), बाग़बानी जैसे क्षेत्रों में किसानों के बीच जागरूकता फैलाकर उनकी आय को बढ़ाया जा सकता है और रोजगार के अवसर भी पैदा किए जा सकते हैं।

उपराष्ट्रपति ने किसानों और खेती से जुड़े लोगों से मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड (एसएचसी) योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई), प्रधानमंत्री बीमा फसल योजना (पीएमएफबीवाई) और इलेक्ट्रॉनिक-राष्ट्रीय कृषि बाज़ार (ई-नाम) जैसी सरकारी योजनाओं के प्रति जागरुक रहने को कहा।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि कृषि में श्रम-शक्ति की घटती उपलब्धता और बढ़ती लागत से कृषि कम लाभदायक और कभी-कभी गैर-लाभकारी होती जा रही है। उन्होंने कहा कि कृषि उपजों के प्रसंस्करण और उनके मूल्य-वर्द्धन में भी किसानों की आय बढ़ाने की काफी संभावनाएं हैं।

उपराष्ट्रपति ने किसानों को किसान उत्पादक संगठन और ग्रामीण उत्पादक संगठन जैसे किसान समूह गठित करने का सुझाव दिया ताकि अपनी उपज की अधिक कीमत हासिल करने के लिए वे सीधे बाजार से संपर्क कर सकें। उन्होंने कहा कि ऐसा करने से ग्रामीण युवाओं को रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।