किसानों की ख़ुदकुशी संगीन मुआमला लेकिन तनासुब(अनुपात)में कमी: शरद पवार

नई दिल्ली, १० अक्टूबर ( पी टी आई) वज़ीर-ए-ज़राअत (Union Agriculture Minister) शरद पवार ने आज एक अहम ब्यान देते हुए किसानों की ख़ुदकुशी के मुआमला को इंतिहाई संगीन क़रार दिया लेकिन फ़ौरी तौर पर भी कहा कि अब ऐसे वाक़ियात में कमी वाक़्य ( जरूर) हो चुकी है ।

इकनॉमिक एडीटर्स कान्फ्रेंस से ख़िताब करते हुए उन्होंने कहा कि हुकूमत ज़राअत (खेती) के शोबा ( Sector) में ज़्यादा से ज़्यादा सरमाया कारी ( निवेशकों) की जानिब अपनी तवज्जा (ध्यान) मर्कूज़ (केंद्रित) किए हुए है और इस बात के लिए भी कोशां है कि किसानों की आमदनी में इज़ाफ़ा के लिए अनाज की कम से कम इमदादी क़ीमत (MSP)मुक़र्रर की जाय ।

किसानों की ख़ुदकुशी के बारे में पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए शरद पवार ने एक बार फिर अपनी बात दुहराई और कहा कि ये हक़ीक़त है कि ख़ुदकुशी एक संगीन मसला है लेकिन इन हक़ायक़ से भी चिदम् पोशी नहीं की जा सकती कि ख़ुदकुशी के वाक़ियात में नुमायां कमी हुई है ।

उन्हों ने कहा कि ख़ुदकुशी की कई वजूहात होती हैं । जैसे ख़ुश्कसाली की वजह से फ़सल का नुक़्सान कोई जान लेवा बीमारी ख़तरा । लिहाज़ा MSP के ज़रीया किसानों को माली फ़ायदा पहुंचाया जा सकता है लिहाज़ा ज़राअत के शोबा में सरमाया कारी पर ज़ाइद तवज्जा ( ध्यान) मर्कूज़ की जा रही है । किसानों की ख़ुदकुशी में कमी के अपने ब्यान की दलील पेश करते हुए शरद पवार ने कहा कि महाराष्ट्रा में 2006 में किसानों की ख़ुदकुशी के 1035 वाक़ियात रौनुमा हुए जबकि 2008में ये कम होकर 800और 2007 मैं 700हो गई लेकिन 2010 में मामूली इज़ाफ़ा होकर 740 वाक़ियात रौनुमा हुए जबकि 2011 में यही तादाद 480 तक महिदूद ( सीमित) हो गई ।

उन्होंने कहा कि ये आदाद-ओ-शुमार वो फ़ख़्रिया (घमंड के) तौर पर पेश नहीं कर रहे हैं । हमारे लिए तो सिर्फ एक किसान की ख़ुदकुशी भी बाइस (सबब) शर्मिंदगी है लेकिन क्या किया जाय किसान जब ख़ुदकुशी करता है तो इस के ज़हन में क्या तूफ़ान होता है इस के बारे में सिर्फ वही जानता है ।

बहरहाल पार्लीमेंट के मानसून सेशन जिस का हाल ही में इख़तताम (समाप्ती) हुआ है में जो ताज़ा तरीन डाटा पेश किया गया है इस के मुताबिक़ 1995 ता ( से) 2011जुमला 2,90,740 किसानों ने ख़ुदकुशी की जिस की कई वजूहात बताई गई हैं जैसे दीवालीया हो जाना मआशी मौक़िफ़ में अचानक तबदीली ग़ुर्बत और बीमारी ।

शरद पवार ने कहा कि ख़ुदकुशी करने वाले किसानों को छोड़कर अगर हम आम हालात का भी जायज़ा लें तो ख़ुदकुशी के एक आम वाक़िया में भी सिर्फ पैसा ही ख़ुदकुशी की वजह नहीं बनता बल्कि कई वजूहात ( कारणो) के बारे में हम अख़बारात और टी वी पर तफ़सीलात पढ़ते और देखते हैं ।

शरद पवार ने मल्टी ब्रांड रीटेल में एफडी आई को मुतआरिफ़ (परिचय) किए जाने के फ़ैसला का ख़ौरमक़दम ( स्वागत) किया ।